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भगवान हमारे अन्दर ही विरजानमान है।

 विचारों की दुनिया।


विचारों की दुनिया कहते ही हमारें दिमाग में कुछ ऐसा महसूस होता है जो कि बोरिंग लगता है पर आपको पता है हर क्षण हर कार्य के गर्भ में एक विचार ही कार्य करता है। चाहे आप कोई बड़ा बिजनेस करना हो। या फिर कोई छोटा कार्य करना हो, सब कुछ विचारों पर ही निर्भर करता है। 

विचार ना हो तो हम किसी कार्य की कल्पना भी नहीं कर सकते है। आपको पता कल्पना करना अपने आप एक फिल्म देखने जैसा है अगर आप फिल्म देख लें तो आप बोर हो सकते हो। और अगर आप अच्छे विचारों की कल्पना करें तो यह हममें एक जोश भर देता है। जो कभी खत्म नहीं होगा।

यह ऐसे जोश की ताकत है जो कि किसी खाने से नहीं बल्कि एक अंदरूनी ताकत है जिसे मन कभी कभार ही प्रकट करता है। 

मन में विचारों की ताकत।

अगर आपने कोई ऐसी बात सोची पूरे मन से जिसमें संदेह नाम मात्र का भी न हो। उस जोश को देखना उस ताकत को देखना आप इसे अलग ही महसूस करेगें। क्योंकि यह ताकत आपके मन की है। अगर आप पूरे जोश और अन्दर से खुशी महसूस हो रही है तो आप अपनी ताकत से ज्यादा वजन उठा लेगें। 

अपनी उम्मीद से ज्यादा कार्य कर सकोगे। इतनी ताकत होती है इस न दिखने वाले विचारों में। पर इनका गलत इस्तेमाल करने से उतनी ही हताश हमारे हाथ लगती है। जितनी ताकत हमारे अंदर पैदा होती है उतनी ही कमजोरी हमें पैदा हो सकती है। जब आप अपने किसी प्रिय के प्रति अविश्वास का कारण विचार पैदा हो जाते है। तब ।

अनदेखा ही सच है क्या ?

दुनिया के हर व्यक्ति परेशान है क्यों? क्योंकि हमें पता नहीं पता कि सत्य क्या है। भगवान कहां है। ईश्वर कहां है। जिसने इतनी बड़़ी दुनिया बनाई है उससे सब बात करना चाहते है। भगवान श्रीकृष्णा ने गीता में कहा कि मै तो तुम्हारे अन्दर ही बैठा हूँ बस जरूरत है उसे देखने की। शांत मन से।

अब यह सब बातें हर रोज यह बाबा लोग भी करते है। आंखे बंद कर लो अपने आप को जानों। शांत मन रखों, शांति से बैठों। प्रतीक्षा करों। पर प्रतीक्षा कौन करेगा। जिसके पास समय होगा।

 प्रतीक्षा कौन करेगा जिसके पास बहुत ज्यादा उम्र हो। प्रतीक्षा कौन करेगा जो अपनी बहु बेटी से प्रेम स्नेह नहीं करते है। आखिर लोग भगवान रूपी से क्यों मिलकर बात करना चाहते है। इस दुनिया का निर्माण जिस प्रकार से हुआ है इस विशाल दुनिया का उसे देखकर हर कोई हैरान है हर कोई परेशान है 

जिसे अपने अन्दर श्रद्धा नहीं है ईश्वर के प्रति वह कैसे मानें कि इस विशाल दुनिया को बनाने वाला हमारे इस तुच्छ शरीर में बैठा है कौन मानेगा कि वह हमारी बहु-बेटियों की इज्जत लुटतें हुए देख रहा है।

हमारे रोज हुए अपमान को वह देख रहा है। कौन मानेगा यह सब। बहुत ही कठिन है इन सब बातों पर यकीन करना आखिर अगर मेरे अन्दर भगवान बैठे है तो वह मुझे अच्छे बुरे की समझ क्यों नहीं देते है। 

मुझे एक बार भी आवाज मारकर यह नहीं कहते है कि मै तुम्हारें साथ हूँ हर व्यक्ति के दिमाग में यह प्रश्न होेते है। कि भगवान कहां है।

 साधारण व्यक्ति के विचार 

एक साधारण मुझ जैसा व्यक्ति जो अपने परिवार के लिए मर मिटने के लिए तैयार रहता है हर हालत में। पर कौन समझेगा कि भगवान हमारें अंदर वास करते है। अगर आप किसी को समझाने का प्रयत्न करोगें तो आप स्वयं फंस जाओगें। क्योंकि आपको भी अपने ज्ञान के प्रति ईमानदारी रखने को नहीं सिखाया गया है। कुछ प्रश्न और उत्तर में यहा दे रहा हूँं। वार्तालाप।

भगवान कहां है?

भगवान हमारे अन्दर ही विरजानमान है।

जिसने ये सारी दुनिया बनाई इतनी बड़ी पृथ्वी बनाई इतने बड़े-बड़े ग्रह बनाएं वो इस शरीर में रहेगा। पागल अपने दिमाग का ईलाज करा के आ पहले फिर उत्तर देना।

योगियों ने यह कर दिखाया मित्र उन्होने अपने अंदर के भगवान को जगाया है कठिन तपस्या से ये होता है। 

ठीक है भाई मैं आज से ही कठिन तप करूंगा क्या तेरा भगवान जो मेरी बीवी है मेरे बच्चे है उन्हें खाने के लिए देगा।

नहीं मित्र मै तो तप की बात कर रहा हूँ।

ऐसे तप का मैं क्या करूंगा जिसे करने से मेरा पूरा परिवार भूखा मरें। 

क्या आप गारन्टी देते है कि कठिन तप से भगवान मिलेगे ही मिलेगे।

मित्र गारन्टी कोई नही है। 

तो फिर यह शिक्षा मुझे क्यों दे रहे हों।

एक बार आप मुझे भगवान दिखा दो तो मै तपस्या करूगां।

मित्र अगर यह कार्य इतना आसान होता तो मै खुद ही ना करता। 

यानि के यह इतना कठिन कार्य है कि शिक्षा देना हर कोई चाहता है पर इसे करना कोई नहीं चाहता है। 

तभी तो पूरे भारत यू कहों कि पूरी दुनिया में आज कोई इसका गुरू नहीं है जो इस शरीर के प्रत्येक योग चक्र के बारंे में जानता हो जो यह साबित कर सकें कि इस रास्ते पर चलकर मैनंे यह फायदा किया है। 

सच कहें तो इसका प्रमाण देना भी कठिन है। इस रास्ते पर चलना तो बहुत दूर की बात है। जहां तक मैने देखा है यहां सब भाषणों की भक्ति हो रही है भाषणों में ही ईश का गुणगान हो रहा है। ऐसा आजतक मैने भी अपनी आंखों से ऐसा कोई तत्व ज्ञानी नहीं देखा है जिसे देखकर हम कहें कि हां यह सब सत्य है। 


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Milan Tomic

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