राजनैतिक ज्ञान
लोकसभा चुनाव के बाद और प्रधानमंत्री बनने के बाद कुछ दिन बाद ही नगरपालिका चुनाव होते है जिसमें नगरपालिका अध्यक्ष, चेयरमैन आदि का चुना जाता है। यह शहरी व नगरीय चुनाव के लिए होता है।
लोकसभा चुनाव में जो अहम भूमिका निभाते है वह होते है सांसद। सरकार बनाने के लिए सांसदों का पार्टी से जीतना महत्वपूर्ण है।
जिस पार्टी के जितने अधिक सासद जीतेगें उसी पार्टी की सरकार बननी है। अर्थात प्रधानमंत्री उसी पार्टी का बनता है। फिर प्रधानमंत्री अपनी मंत्रियों की कैबिनेट बनाता है। जिसमें वह सड़क परिवहन मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री आदि को बनाता है। जो कैबिनेट मंत्री होते है।
वह सीधे प्रधानमंत्री को सपोर्ट करते है। और जो राज्य मंत्री होते है वह कैबिनेट मंत्रियों को सपोर्ट करते है। इसके अलावा जिन राज्य मंत्रियों के पास स्वतंत्र प्रभार होता है वह सीधे प्रधानमंत्री को सपोर्ट करते है।
प्रधानमंत्री अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौपता है। सभी मंत्री बनने से पहले शपथ ग्रहण करते है जिन्हें राष्ट्रपति के समक्ष शपथ लेनी होती है।
राजनैतिक पहेली
कहने को राजनैतिक है पर इससे अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति बड़े स्तर पर की जाती है कहने को तो समाज सेवी है पर ऐसा कुछ नहीं है एक बार राजनैतिक व सरकारी कुर्सी मिलने पर सभी अपनी भड़ास निकालते है जनता को परेशान किया जाता है।
उनसे भारी भरकम टैक्स लगाया जाता है। उन्हें बेरोजगारी की मार सहनी पड़ती है बड़े ही सोच विचार कर लोग एक नेता चुनते है पर वह नेता बनने के बाद नेता नहीं अपने आपको भगवान मानने लगता है जिसके आगे हर कोई झुकता है। उसे सलाम करता है। उसके आगे किसी की नहीं चलती है।
जिस जनता के प्रतिनिधि के रूप में उसे चुना जाता है। वही प्रतिनिधि जनता पर शासन करता है। भारतीय संविधान में लिखा गया है कि जनता का जनता द्वारा शासन। पर यहां परिभाषा कुछ ओर होती है।
एक भारी सजा।
पांच साल के लिए जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है जो कि संसद का संदस्य भी होता है जो जनता के लिए लड़े उनके लिए कार्य कर सकें।
पर यह पांच साल एक सजा में परिवर्तित हो जाती है जहां आम आदमी यह भी भूल जाता है कि मैं ही सरकार हूँ।
लेकिन जो जनता पर जुर्म किए जाते है उसे देखकर लगता नहीं है कि जो सविधान में लिखा है वह सत्य है वह केवल एक दिखावा है। भारी भरकम टैक्स वसूल करना। मंहगाई की मार, बेरोजगारी की मार, पता नहीं क्या क्या उसे सहना पड़ता है।
एक भय की स्थिति
एक देश का नगरिक होते हुए भी ऐसा लगता है कि पता नहीं कितना बड़ा गुंडा हूँ यार। सड़क पर चढ़े नही कि मोटर साईकिल वाले को गाड़ी वाले को पुलिस के जोर पर रोका जाता है उसे परेशान किया जाता है। उससे बिना किसी कारण ही कागजात के नाम पर लूटा जाता है।
कही नम्बर प्लेट के नाम पर, कही पर्यावरण प्रदूषण के नाम पर। अरे भई उसे अस्पताल तक अपनी माता को ले जाना था। और उसे फंसा दिया जाता है कानूनी कार्यवाही में । अरें यार एक गरीब आदमी अपने किसी रिलेटिव को गाड़ी में भी नहीं ले सकता है। एक तो उसे पता नहीं मुश्किल से गाड़ी मिली होती है फिर उसे उस गाड़ी का किराया कही जाकर सेट होता है तो सड़क पर ये लुटेरे खड़े होते है।
हाय तौबा कर! हाय तौबा कर किसी डॉक्टर के यहां पहुँचते है तो डॉक्टर के यहां पहले तो नम्बर लिखने की पुरसत नहीं है। पता नहीं आज नम्बर लिखा जाऐगा या नहीं ये टेंशन । अगर नम्बर लिख लिया तो फिर भईया फीस की मार। अगर फीस भी दे दी तो हमारा मरीज ठीक पहुँचगा या नहीं यह भी तो कोई गांरन्टी नहीं है डॉक्टर नहीं भईया कसाई बैठे है कसाई।
अपनी जिंदगी के साथ-साथ बच्चों का भविष्य भी खतरें में।
अपनी तो जैसे तैसे कट ही जाएगी। पर बच्चों का क्या होगा। बच्चों का तो अपने से भी बुरा हाल होगा। ना तो इस देश में रोजगार ना कोई ऐसा दीन दया वाला व्यक्ति की कोई समझा सकें कि भईया चलों कही तो एक ऐसा सेक्टर हो जहां लूट मार ना हो।
एक सेक्टर को छोड़ों तो दूसरा इससे भी ज्यादा लूट मार करने के लिए खड़ा है। पूरा का पूरा सिस्टम ही लूटमार पर खड़ा है। कोई नहीं जानता कि क्या होगा ऐसे देश का।
यहां तो बस एक ही शिक्षा
यहां तो भईया बस एक ही शिक्षा दी जाती है वह क्या है ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाएगें।
सारें के सारे बाबा यही काम खोले बैठै है। बैठै तो है ही अगर हिन्दुस्तान के भिखारी हो या बाबा किसी को आपने कुछ देने से इंकार कर दिया तो बस पूछिए मत आपका शनि भारी हो जाएगा। आज ही आपको इसी क्षण काल का ग्रास हो जाओगे। भईया इतनी बुरी तरह से डरा देगें कि अगर आप का जीवन 100 साल का होगा तो आपको अगले 10 मिनट काटने भारी हो जाएगें।
और यह कहानी यही खत्म नहीं होती है। अगर आप को अपना संदेह मिटाना है तो सबसे पहले आपको किसे मिटाना अपनी मेहनत की पूंजी को जिसे आपने अब तक बहुत ही मेहनत से कमाया था उसे।
क्यों?
क्योंकि आपने बाबा का नाराज किया है उसे उसके मन के मुताबिक धन नहंी दिया है अगर आप दूसरें किसी ज्योतिषी के पासा जाएगें तो वह आपको पहले वाले से भी ज्यादा डरा देगा यानिके आप वहां से बचे हो या ना बचे हो। यहां तो बेटा नहीं बचोगें। पूरी गारन्टी है
पूरी की पूरी की यहां तो आपका शनि भारी भी होगा। और आपको भी अपने ऊपर शक होने लगेगा कि वास्तव मंे मेरा शनि भारी है यह तो काम करना ही होगा। तो यह यहां कि कहानी है दोस्तों!
अपने आपको इन बहरूपियों से बचाओं
यहां हर कदम पर एक नया लुटेरा किसी न किसी रूप में खड़ा आपको मिलेगा। चाहे वह किसी नाके पर किसी का चालान काटने वाला हो। या फिर और किसी रूप में । अब अगर हम शहर से बचे तो गांव में भी कोई ना कोई गरीबी से बेहाल कोई ना कोई मिल ही जाएगा।
अगर इससे बच गए तो फिर अपने घर से कहां जाओगें वहां तो आपका अंतिम छोर है वहंा भी कोई रिश्तेदार कोई ना कोई बात लिए हुए आपसे कुछ लेने की उम्मीद करता है अगर उससे भी बच गए तो फिर आपके बीवी बच्चे जो आपसे कुछ उम्मीद रखते है कि हमारें लिए तो कुछ करेगा। किन-किन से आप पीछा छुडाओगें ।
तन्ख्वाह कितनी है दस हजार रूपये जिसमें मोटरसाईकिल का खर्चा रोज का। अपना दस बीस रूपये ऐसे ही उड़ जाते है ऐसे देश में कौन पागल कहता है कि मेरा देश महान है। यहां औरते अपनी इज्जत को निलाम कर रही है अपने पेट की आग को शांत करने के लिए यह है सच्चाई जो हमें दिखाई नहंी देती है।
दिन-रात की यही सोच
हर दिन-रात की यही सोच होती है कि क्या होगा। जहां भी देखों भईया मेहनत नहीं की इसलिए कुछ हासिल नहीं किया। भईया मेहनत कर लेते तो यह दिन देखने को ना मिलते। अगर दो-चार व्यक्तियों ने ऐसा कह दिया तो आपने कितनी भी मेहनत की हो वह सब बेकार हो जाती है।
अच्छा फिर अगर हमें यह विश्वास है कि हमने मेहनत की है तो इन होशियार उच्च कोटि के महान व्यक्तियों से कौन बचाएगा जो ये कहते है कि बेटा आपने मेहनत तो की है पर आपने सही दिशा में मेहनत नहंी की है। इनसे भी तो कोई बचाए।
जिस देश में बेरोजगारी का बुरा हाल हो। हर तरफ हाय! तौबा हाय! तौबा हो रही हो उस देश से आप क्या उम्मीद कर सकते है जहां के राजनेता लग्जरी गांडियों में चलते है
जहंा के नेता के लिए आने से पहले ही रास्ते पर से सभी आम व्यक्तियों को डडें के जोर से हटा दिया जाता है वहां वह खड़ा भी नहीं हो सकता क्योंकि वह आम आदमी है तब वह जनता नहीं होती है
जो कि अपने प्रतिनिधि से बात भी नहीं कर सकती है। तब वह सरकार होती है वीआईपी। अरें। किन्हें लोगों को किनारें कर रहे हो भई जिन्होंने वोट दिया अपने प्रतिनिधि के रूप में चुना है। कि हमारें लिए कुछ करेगा।
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