कल मंगलवार की कहानी बताता हूँ आपकों
मुट्ठी बंद की ओर कहा कि अब खोलों
मुट्ठी खोलते ही मेरे मन के सारे विचार सारे तर्क एक दम से गायब हो गए हो और मुझे अपनी आँखों पर यकीन नही हुआ।
मैं एक वर्कशॉप में काम करता हूँ तो हमारी छुट्टी मंगलवार ही रहती है। इस दिन में घर के छोटे मोटे काम कर लिया करता हूँ । हुआ यू कि सुबह का समय था यही कोई सुबह 9 बजे और मुझे अपनी बेटी को स्कूल छोडने के लिए जाना था। तभी एक मागने वाला भिक्षु आया। एक समान्य भिक्षु की तरह मैनंे भी उसे पहले आटा देना चाहा पर उसने लेने से इंकार कर दिया। इसके बाद मैने पूछा कि आपको क्या चाहिए उसने कहा कि मुझे रोटी खाना है मैने कहा ठीक है महाराज, आप अन्दर आइए और चारपाई पर बैठ जाओं। मैनें उसको रोटी लाकर दिया पानी लाकर दिया और चाय भी लाकर दी ।
उसने कहा अरे भई आपने तो यहां हरिद्वार ही बना दिया। मैने कहा महाराज कोई इतनी बड़ी बात नहीं है आप खाना खाइए। फिर उसने खाना खाया और बाहर की चल दिया। उसका एक और साथी था। वह आगे चला गया। जब वह भिक्षु घर के गेट से बाहर निकल रहा था तो मै भी अपनी बेटी को लेकर स्कूल के लिए जा ही रहा था तभी उस भिक्षु ने कहा कि बेटा लो दुआ लो।
मैने कहा महाराज बस आपकी तो दुआ ही दुआ है तब उसने कुछ ऐसा किया कि आप लोगों ने फिल्मों तो देखा ही होगा पर सच्चाई में जो फिल्म उसने मुझे दिखा दी उस पर यकीन करना बहुत ही मुश्किल है उसने एक बजरी उठाई हमारे घर के सामने से और कहा बेटा लों यह अपने हाथ में लो और अपनी मुटठी बंद कर लों तभी मैने मुट्ठी बंद की ओर कहा कि अब खोलों उसने कुछ मंत्र बुडबुडाए इसके बाद जैसे ही मैने अपने हाथ की मुट्ठी खोली तो देखा क्या कि वह बजरी एक शिवलिंग में बदल चुकी थी।
इस बात पर यकीन करना बहुत मुश्किल है लेकिन यह बात सच्ची है। इस बात पर मुझे भी यकीन नहीं होता है कि उसने बजरी मेरे हाथ पर रखी और उसे एक शिवलिंग में बदल दिया। मै इस झूठ भी कह सकता अगर वह अपने हाथ में ही करके कुछ मुझे देता पर उसने मेरे हाथ में बजरी दी और उसे एक शिवलिंग में परिवर्तित कर दिया। इसे पदार्थ को बदलने की जो उसमें कला थी बड़ी ही अदभुत थी।
वास्तव में आज तक 35 साल की मेरी उम्र हो चुकी है पर ऐसा जादू मैने अपनी जिंदगी में ही देखा। ऐसा जादू कौन कर सकता है कोई बिरला ही कर सकता है जिसमें पदार्थ को बदल सकने की शक्ति हो। उस महाराज ने पत्थर का शिवंिलंग बना दिया बडी़ ही विचित्र बात मेेरे मन को लगती है क्योकि इस विश्वास करना यकीन करना बहुत ही मुश्किल होता है क्योंकि आप तो यकीन करेगें ही नहीं क्योंकि आप जब तक अपनी आँखों से ना देख ले लेकिन मैने यह घटना अपनी पूरे होशो हवास में कोई नशा नहीं किया भाई बिल्कुल होश में था।
उसने कोई फेर बदल नहीं किया कि उसने दोबारा से मुझसे कुछ लिया हो फिर कुछ दिया हो नहंी उस महाराज ने मुझे केवल एक बजरी दी और उसके बाद वह मेरे हाथ में एक शिवलिंग में बदल जाती है। बड़ा ही आश्चर्य कर देने वाला दर्शय था। तो दोस्तों जिस महाराज ने यह चमत्कार किया उसकी उम्र भी मेरी उम्र से ज्यादा नहीं थी उसकी उम्र भी कोई 36 या 37 के आसपास ही होगी। दिन मंगलवार दिनंाक 12.11.2024 सुबह नौ बजें के बाद का वाक्या था।
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