मौसम की मार
जून और जुलाई तो भईया ऐसे महीने इन महीनों में टूट के गर्मी होती है। हर व्यक्ति इस समय परेशान होता है और जो मुख्य कारण होता है सबसे पहला वह होता है हाय! गर्मी। हाय गर्मी! इतना बुरा हाल तो मैने कभी नहीं देखा इन दो महीनों में व्यक्ति अपनी पूरी उम्र याद करता है। रोता है चिल्लाता है। एक बात है अगर मनुष्य इतनी सी गर्मी बरदाश्त नहीं कर सकता तो वह सूरज को चुनौती क्यों देते है। आग को चुनौती देते है। पानी को चुनौती देते है। और जिसने ये चीजें बनायी है भगवान उसको चुनौती देते है। उसकी बनाई हुई चीजों से जीत नहीं सकते चले है भगवान को चुनौती देने।
हर मौसम की होती है अपनी पहचान
हर मौसम की अपनी पहचान होती है चाहे फिर सर्दी हो या गर्मी। प्रत्येक वर्ष मौसम चार होते है। सर्दी, गर्मी, बरसात, पतझड़। अगर हम मौसम के हिसाब से नहीं चलेगे तो भईया परेशानी का तो सामना करना पडे़गा ही। हर मौसम की अपनी खास बातें होती है। हर मौसम की अपनी फसल होती है। हर मौसम में फल, सब्जियां भी अलग-अलग होती है। अगर बात करें सर्दी की तो सारा पहनावा ही बदल जाता है। खान-पान रहन-सहन, सभी कुछ अलग होता है।
कुछ व्यक्ति होते है कि गिरगिट की तरह रंग बदलते है। मौसम भी
कुछ व्यक्ति कहते है गिरगिट की तरह रंग बदलते हो ऐसा कहते हुए आपने सुना होगा। ज्यादातर लोग इसी कहानी को दोहराते हुए नजर आएगें।
पर पहले आप ये बात अच्छी तरह से जान लों कि गिरगिट ऐसा करता क्यों है? अपनी जान बचाने के लिए।
यही चीज अगर हम मौसम के हिसाब से ले तो हमारे लिए अति अति महत्वपूर्ण होगा। यह कहो कि जीने का यही तरीका है। अब अगर आप कहों कि मैं अब भी नहीं सहमत हूँ तो भईया यहां मौसम है कुदरत अच्छे अच्छों को सही कर देती है।
यहां कोई नियम कानून नहीं चलता है कि अदालत में अर्जी देकर आप नियम कानून बदलवा दोगें। कुदरत तो कुदरत है यह बात सभी मानते है। मौसम सर्दी का है तो हमें सर्दी के हिसाब से कपड़े खाना-पीना करना होगा।
अगर आप यहां गर्मी दिखाओगें तो क्या होगा पता आपको अस्पताल में एक बैड़ पहले ही बुक कर लेना चाहिए जिसकी इजाजत आपका डॉक्टर भी नही दे सकता है वह भी यही कहेगा कि भईया पागल तो नहीं हो गए हो आप गर्मी का काम सर्दियों में कर रहें हो।
इन चीजों पर कोई असर नहीं होता है न सर्दी का ना गर्मी का।
हां दोस्तों कुछ चीजें ऐसी होती है जिनका इन पर कुछ असर नहीं होता है। यह एक वैचारिक रिश्ते है। यां आप कह सकते है। खून के रिश्ते जैसे भाई-बहन, चाचा-चाची, बुआ, मौसी-मौसा, अन्य रिश्ते इसी तरह के कोई भी मौसम हो यह ज्यों के त्यों ही रहते है।
यह दोस्तों वह चीजें है जिसे हम देख नहीं सकते है। अगर हम इन्हें देख सकते तो शायद इन्हें भी हम बदल सकते। ये रिश्ते अंदरूनी अहसास है जिसे हमें पवित्रता से कायम करना होता है। बस यही कहना चाहूंगा कि मानो तो गंगा मां हूँ ना मानों तो बहता पानी।
मौसम खुदा एक रूप है।
मौसम खुदा का एक रूप है जिसे हम कह सकते है कि कुदरत हमारे साथ खेल खेलती रहती है। यह कुदरत ही है कि हमें अच्छा बुरे का ज्ञान तो कराती ही है। साथ ही यह भी बताती है कि फलाना कार्य करने से हमारे साथ क्या होगा।यह कुदरत हमें कुछ कार्य करने से पहले अच्छे बुरे का ख्याल करा देती है। फिर भी अगर हम उसमें से बुरा ही चुनते है तो अंत में हमें नर्क की मिलना है क्योंकि यही चुनते तो अब तक आ रहें है
अब नर्क मैं वही सब चीजें मौजूद है जो अब तक हम यही से लेते आए है। इसके अलावा अगर हम अच्छे का बार-बार चयन करते है तो संभावना है यू कहों कि पूरी संभावना है कि आप ऐसी जगह जायेगे जहां वही सब चीजे मौजूद होगी जो कि अब तक आप कुदरत से मांगते आए है
कई बार ऐसा होता है कि हम कम्प्यूटर में काम करते है तो कोई कार्य बार बार करते है। और एक समय अगर हम कुछ अलग कार्य करना चाहेगे तो कम्प्यूटर उस कार्य के बारें जरूर हमें बताएगा कि आप दूसरा कार्य क्यों कर रहे हो आप तो यह वेबसाइट खोलते थे आज आप गलत तो नही जा रहे हो। तो कुछ ऐसा ही हमारे जीवन के बारें में भी है।
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