दीपावली से कुछ दिन पहले हम सब परिवार वाले सती पर पूजा करने के लिए जाते है
आज दिन बुधवार 02 अक्टूबर 2024 है। आज सुबह जैसे ही उठा तो पता चला कि आज तो अतरगढ़ जाना है। तो हम सती पर हूउम ठाने के लिए गए थे। दीपावली से कुछ दिन पहले हम सब परिवार वाले सती पर पूजा करने के लिए जाते है।
दीपावली के दिन तो पूरा गांव ही पूजा करने के लिए सती पर इक्कट्ठे होते है। इस दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। 1 अक्टूबर को मेरी बेटी शिवी का जन्म दिन था। मेरे पास पैसे खत्म हो गए थे तो उसकी माता ने जिद कर अपने भाई गौरव से जो कि चाचा का लड़का है से केक मंगवाया और साथ ही मोमोज भी मंगवाएं।
मैनें खूब मना की लेकिन अपनी जिद के आगे उसने एक नहीं मानी। मैंने कहा देखों जितने पैसे हम जन्म दिन में लगाएगें इतने ही पैसे अगर हम बेटी की पढ़ाई में लगाएगें तो इसके कुछ काम आएगी। लेकिन मेरी कोई बात नहीं मानी उल्टा मुझे बेइज्जती का सामना करना पड़ा इन बोलों के साथ कि तेरे पास कुछ नहीं है तू गरीब है! तेरी इतनी औकात नहीं कि तू मेरे रिश्तेदारों की रोटी कर सकें।
ये सब बातें मेरी पत्नि ने मुझसे कहंी जो कहते है सात जन्म तक साथ देने का वादा किया जाता है जिसको अपनी घर का पता होने के बावजूद भी जिद कर रहा है वह आदमी थोड़े ही जानवर है मनुष्य के रूप में एक दरिन्दा है। अपनी ठाट बाट दिखाने के चक्कर में अपने पति को बेइज्जत कर रहा है। ऐसे इंसान को तो भगवान भी माफ नहीं करते है।
अब जन्म की बात सुनों एक अक्टूबर को जन्म दिन था। पर इसी दिन शाम को समय मेरा छोटा भाई अपने बच्चों के साथ मेला देखने जा गया। उस दिन मेहमान भी कोई आना नहीं मनीषा के कहने पर गौरव केक लेकर आया। तो कोई नहीं आने पर मेरी पत्नि भी खूब रोयी। मेरी बेटी शिवी बाहर गयी तो उसने देखा कि रोने की आवाज किसकी आ रही है तो उसने मुझे बताया यानि के अपने पापा को बताया कि मम्मी रो रही है। अब बताओं इसमें रोने का क्या काम था आखिरकार उसकी रौनक देखने कोई नहीं आया तो इस तरह के लोग जब उनकी ठाठ बाट देखने कोई नहीं आया तो रोने लगते है ऐसा ही होता ऐसे लोगों के साथ। मेरी पत्नि एक दिखावें की जिन्दगी जी रही है जिसकी कोई अहमियत नहीं होती है। ना ही समाज में और ना ही घरवालों की नजरों में ।
जिन्दगी का दूसरा पहलू देखों दो अक्टूबर 2024 दिन बुधवार को मैनें डीलर आदमपुर पर फोन किया कि मेरा राशन कार्ड बनवाया है कि नहीं। एक गरीब आदमी के साथ बहुत कष्ट होते है साहब! मुँह से बस आह! ही निकलती है एक गरीब आदमी इसके अलावा कुछ कर ही नहीं सकता। किसी के खिलाफ कुछ नहीं कह सकता। कह दिया तो कोर्ट कचहरी के डर से वह आगे बढ़ नहीं पाता बढ़ गया तो फिर कर्ज के बोझ से डूबा। बस हाय तौबा, हाय तौबा दिन रात लगी रहती है।
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