आज की बातें 30 सितंबर 2024 दिन सोमवार
आज सुबह मैं उठा लगभग छःह बजे इसके बाद में नीचे जाकर फ्रेश होता हूँ फिर मैं दूध लाने के लिए जाने के लिए कहता हूँ अपनी पत्नि से लेकिन पैसे की कसमकश से फिर मेरा बेचारा सा मुँह हो जाता है। वास्तव में एक गैराज में काम करता हूँ यहां मुझे तीन सौ रूपये रोजाना मिलते है और रोज का खर्च दूध का एक किलों का खर्च 40 रूपये, रोज की सब्जी का खर्च कम से कम 50 रूपये। बच्चों की दवाई का खर्च कम से कम दो सौ रूपयें अब अगर कोई व्यक्ति देखें कि मेरे पास क्या बचता है कुछ नहीं इसमें भी अगर कोई मेहमान आ जाए तो उसके नाम के सामान के पैसे उधारे करने पड़ते है जो कि अगले दिन देने का वायदा कर लाना पडता है।
इतनी मजबूरी की पूछो मत हर दिन ईश्वर से हाथ जोड़कर प्रार्थाना कर निकलता हूँ कही कुछ हो ना जाए। अगर एक्स्ट्रा कुछ कार्य और बीमारी का खर्च पल्ले पड़ जाए तो पसीने सिर से लेकर पांव तक आता है। बात सुनते ही।
ये आलम है मेरा। सोचा था ब्लॉग लिखूँगा। कुछ थोड़ा बहुत सहारा ही लगेगा। पर इस ब्लॉग का सहारा भी कुछ नहीं क्योंकि बिना ऐड़ के यहांँ कुछ होता नहीं ना ही मेरी साइट गूगल सर्च मेें जाएगी और ना ही गूगल इसे आगे भेजने वालों में से है।
आज वर्तमान में मैं इतना मजबूर हो गया कि एक-एक पैसे के लिए तरस गया हूँ बस क्या कह नहीं सकता हूँ। आखिर करूँ भी तो क्या करूँ आज तारीख 30 सितम्बर 2024 है।
आज सोमवार को ही पिंकी मेरी पत्नि के पिताजी आए है। आए तो थे हवाई अड्डे में शुगर टेस्ट कराने और चेकअप और साथ में घर से दूध लेकर आए थे तो दूध लेकर वह हमारे घर भी आ गए। अतरगढ़ से कर्णपाल चाचा भी आए हुए थे। सुबह ही नौ बजे से पहले आए थे। मैं उनके लिए नमकीन बिस्कुट लेकर आया। बाद में उन्होंने उड़द की दाल और रोटी खायी। फिर चाचा गीता के कमरें में गया। फिर नरेन्द्र से मिला। इसके बाद में अपने काम पर आ गया था।
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