पैसे की तंगी
कोई नहीं करता है बिन पैसे के सम्मान।।
अगर आप मांगोंगें किसी से मदद।
उस व्यक्ति की तो सुनती भी नहीं कुदरत।।
यही है लोगों का काम।
सामने मारे बड़ाई पीठ पीछे करें बदनाम।।
जिसको समझों अपना खास दोस्त।
वह भी अपनी गरीबी के नाम पर खाता है टोस्ट।।
सुना था सच्चा साथी बुरे वक्त में काम आते है।
अब तो समय यह आ गया है अपने ही बेच खाते है।।
आज की महिला बनी है घर की प्रधान।
जो नहाते को भी बात बताती है कहती है हो जा सावधान।।
काम करते को लोग करते परेशान।
और कहते है बुरा वक्त देखकर क्यो होता है हैरान।।
लोग कहते है बुरा वक्त भी टल जाता है।
पर जैसे ही भगवान को याद करते है उसी समय मात खाता है।।
यह जीवन की अजब पहेली।
कोई कॉलेज से भाग जाता है तो कोई बनाता है मोबाइल पर नई नवेली।।
कहते है कलयुग आ गया है
पर सतयुग पर भी भारी पड़ा है।।
अपने को कौन से युग देखने है।
कथा वचन या लेख लिखने है।।
अपना तो है इतना बुरा हाल।
हर कोई कर लेता है बिन बात सवाल।।
न जाने कौन सी डगर होगी जब हमारे अच्छे दिन होगे।
मर जाएगें ऐसे ही क्या पता कफन भी नसीब न हो।।
ऊपर से खामोश अन्दर से चिल्ला रहे है।
ऐसा कौन है किसे बताए कि अपनी जिंदगी का क्या सिला है।
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