कार्य की बातें भाग-3
कहती है तुम कुछ करते नही और मुझे करते हो तंग हो सताते।।
मैनें पूछा क्या हुआ मैडम।
क्यों निकाल रही हो भडास और मेरा दम।।
मैं पूरा दिन काम करता हूँ क्या यह है कम।
आप तो मुझे डाँटने लगी होकर बेशर्म।।
आफिस में देखते है सारें लोग क्या हुआ।
और आप कह रही है कि काम नही करता मुआ।।
काम पर सोता है सारा दिन।
और मै रही हूँ एक-एक घड़ी गिन।।
कैसे चलेगा काम भईया।
और मैडम काम भी छोड़ नहीं सकता मारेगी मुझे पत्नी और मैइया।।
आपने तो पहले ही मुझे देते हो मेहनतनामा कम।
इतना काम का बोझ और आपको लगता है कम।।
सारा दिन काम पर लगा रहता हूँ।
और आप कहते है आप तो पहले के जैसे काम में हू-ब-हू ।।
आपका यह बर्ताव करता मुझे तंग।
मेरे गरीबी का फायदा उठा रही हो नहीं आदमी तो हूँ मैं दबंग।।
रोज कहता हूँ इतने पैसे से काम नहीं चलेगा।
और आप कहती तू जाएगा और दूसरा आएगा।
फिर मै सोचता हूँ अपने बच्चों के बारें में।
चलों कर लेते है इतना ही गुजारें में।।
हाय! यह अमीरी कितनी करती है परेशान।
किसी आदमी को नही देखती है चाहे हो वह भगवान।।
अतः मैं मैनें मन मार ही लिया।
और इस गरीबी का कड़वा घूट पीया।
भगवान को रोज कहता हूँ निकाल दे इस दलदल से।
लोग कहते है कि तूने प्रार्थाना नहीं की मन से।।
ऐसे कौन से मन पूकारू कि तू मेरा समाधान कर दें।
तुझे पूकार के ऐसा लगता है जैसे तू आदेश देता है तू समय और इसे कस दें।।
0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for sending message