सफर चालीसा भाग-2
आज का दिन भी बहुत अच्छा है कल भी बहुत अच्छा था
यही बात सोचनी थी पर नेगेटिव फिर क्यों जाना था।।
मेरे पास है एक छोटा-सा घर ।
जिसमें शाम जाते ही लगता है डर।।
जब घर किवाड़ खोलते ही होती है कर-कर।
तो मत पूछ यार निकल जाता है सारा जोश और लगता है कि अब तू गया मर।।
फिर मारती है माता आवाज ।
भाग जाता है सारा डर पर अन्दर से कौन बताएं अब तक भी हो रही है कर-कर।।
माँ कहती है बेटा खाना खालो
अरे बेटा हाथ भी धोलो।
नहीं माँ मुझे नंींद आ रही तो ठीक है बेटा खाना खालो फिर सोलो।।
माँ के खाने में है जादू।
उधर आ गए मेरे दादू।।
कहा बेटे आ स्कूल से।
मैनें कहा हाँ दादू आ गया स्कूल से।।
दादू बोले आओ चले बेटा चले फिर बाग।
उधर आम के पेड़ पर बैठते है काग।।
नहीं दादू मुझे सोना है उधर आने वाली है बारिश।
क्या बात कह दी बेटा आज तो फिर धूल जाएगी आज सारी धुल और कालिस।।
चलो बेटा चलकर खालो आम ।
नहीं दादू आज मिला है मुझे स्कूल से बहुत सारा काम।।
बेटा चलोगो तो दूंगा आज तुम्हें कुछ आमों के दाम।
दादू क्या मुझे भी दोगे कुछ इनाम।।
हाँ, पर बेटा तुम्हारा स्कूल का काम।
अरे नहंी, दादू कल कर लेगें शाम कल हमारी छुट्टी है
तो चलों बेटा बाग लगता है हवा से कोई अम्बी टूटी है।
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