सफर चालीसा
आज दोस्तों आपको सफर चालीसा सुनाता है।
नमस्कार दोस्तों ।
आज करते एक नई शुरूआत l
तभी शुरू होती है आज के सफर के बात।l
कल गया था मै देहरादून l
वहां थी मेरी एक मीटिंग जाना था उसमें वैरी सून ll
ऐसी कडकडाती धूप वहां न मिला सर छुपाने के लिए कोई घर और न मिला कूप।
दोस्तों मुझे लगी 12 बजे भूख l
पर क्या करूं तेज पड़ रही थी धूप ll
कोई ना मिला एक भी अपना साथी।
सामने आ गया एक हाथी।।
अरे बाप रे बाप ।
अब क्या होगा ।
हाथी वाला कहने लगा तुझे देना तुझे सामने से कुछ नही देखा।l
नशे मे चल रहा क्या भाई।
क्या तुझे अपने घरवालों की याद भी नहीं आई।।
सुनों ऐ जाने वालों मेरा था भूख पर ध्यान।
अब कैसे कराउ आपको मेरी पहचान।।
आज कल कौन सी किसी की सुनता है
यू तो कौआ भी दाना पानी चुगता है।
आजकल बच्चों को कहते ये है हमारी भूल।
और नाम रखते है मनफूल।।
आजकल तो गर्लफ्रैंड भी कहती है पति को गाइस।
और छोटे बच्चें हो जाते है जल्दी बाव्इस।।
दोंस्तों पता नहीं आप मेरा ब्लॉग पढते है भी कि नहीं
अपना तो बस काम लिखना है सही।।
जब मै चला जाउगां इस दुनिया से।
फिर ढूंढते रहना अपने गूगल बाबा के सर्च इंजन से।।
अभी जिंदा हूँ तो कर लों दो चार बात।
अभी इतने भी बुरे नहीं है हमारें हालाता।।
कि आप कर न सको मुलाकात।
बस एक मेल भेज दो अभी नहीं हुई है इतनी रात।।
यार क्या कमाल करते हो।
क्या हमारा ब्लांग भी इसी तहे दिल से पढ़ते हो।।
माना कि अभी शुरूआत है।
पर अपनी भी यार कुछ बात है।
सोने जाना हो या करना हो कुछ काम।
बस याद रखना दोस्तों अपनी दुवाओं में मेरा नाम।।
चलों बस भी करों यार आज का तो हो गया ।
बस और काम कल कर लेगें आज का तो चल जाएगा काम।।
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