आवारा उम्र
हम बचपन में बहुत ही खुशहाल जीवन व्यतीत करते है। पर परेशानी दिक्कत तो तब होती है जब हम अपने प्रति जागरूक होने लगते है अपने आस-पास की चीजों को समझने की कोशिश करते है। हम अपने से बड़ों से प्रश्न करते है।
हर प्रश्न का प्रत्येक व्यक्ति के पास जवाब हो ऐसा तो नहीं होता है अब आप कहेगें कि हमारे से बड़े है तो उनके पास हमारी हर समस्या का समाधान होता है हाँ हम कह तो सकते है पर यह बात भी आपको माननी पड़ेगी कि समय के साथ-साथ जवाबों को देना मुश्किल होता है वह दौर जिसमें हमारे से बडे़ एक लम्बी उम्र गुजारते है वह उम्र उन संसाधनों व उस समय के बारें के अनुभव के बारें में है जो कि आज के समय में बिल्कुल भी फिट नहीं बैठता है।
इसलिए कोई लाखों में एक ही होगा जो हर प्रश्न का जवाब देता हो या ऐसा कहें कि स्वीकार ईमानदारी से स्वीकार करने की भावना हो कि मुझे इस प्रश्न का उत्तर नहीं पता है अगर भविष्य में पता चला तो मै इस बात का उत्तर जरूर आपको दूँगा।
यह कहना भी अपने आप मे समझदारी की एक झलक कह सकते है।
अपने समय की लड़कियां
मैनें उम्र का वह दौर भी देखा है जब मै 16 साल का था। उस दौर की बात करूँ तो मेरा दौरा सोलह साल का जो था वह था 2010-11 का यह दौर था मेरी उम्र का उन दिनों सीडी का दौर था। एलसीडी वगैरह अभी तक मार्किट में नहीं आयी थी। बाजारों में सीडी की दुकानंे थी। जो कि किराए पर भी मिल जाया करती थी।
मोबाईल फोन इस समय नोकियां, रिलायंस के छोटे फोन हुआ करते थे। जो कि केवल बात करने के लिए होते थे। इन दिनों याहू भी चल रहा था।
जो अपने समय का सबसे प्रिय चैटिंग प्लेटफार्म था।
अब बात करूं तो उस दौर में मैने पडचून की दुकान की हुई थी। सभी लोग गांव के मेरे पास आते थे अपने सुख-दुख की बात बताते थे गांव में कोई भी छोटी-या बड़ी घटना घटित होती तो सबसे पहले मुझे पता चल जाया करती थी।
क्योंकि इस का जिक्र लोग दुकान पर ही किया करते थे उन्हें टाईम पास के लिए कोई स्थान भी तो चाहिए।
कुछ लोग ऐसे होते है जिन्हें कि इधर-उधर की बातें करने मे बड़ा मजा आता है इतना इधर-उधर की बातें ना करें तो उन्हें चैन भी नहंी मिलता है यू कहें कि उनके गलें से रोटी का एक भी निवाला नीचे नहीं उतरता।
अपने दौर की लड़कियों की कहानी।
दौर तो हर किसी का होता है यह दौर कौन सा होता है यह आप अपने से पूछो तो समझ आ जाएगा। दौर कोई नया जमाना नहीं होता है यह दौर वह होता है जो समय गुजर गया है उस समय को हम दौर कहते है। अब आप कहेंगे कि दौर तो फिल्मी सितारों का होता है। हां वो बात अलग है कि वह प्रसिद्ध है जब वह अपने सटारडम में होते है वह लोग बताते है
और सितारे भी खुश होते है कि वह उस समय की बात कर रहे है जिस समय मै बहुत प्रसिद्ध हुआ करता था। या उस समय मेरा बहुत नाम था।
तो चलों अब बात करते है लड़कियों कि कई लोग तो कह रहे होगे कि पांइट की बात तो कर ही नहीं रहा है असल में भूमिका बांधनी भी जरूरी होती है उस समय का दौर बात किस तरह की चल रही है यह बताना भी बहुत ही जरूरी होता है।
अपने दौर की लड़कियों की कहानी।
दौर तो हर किसी का होता है यह दौर कौन सा होता है यह आप अपने से पूछो तो समझ आ जाएगा। दौर कोई नया जमाना नहीं होता है यह दौर वह होता है जो समय गुजर गया है उस समय को हम दौर कहते है। अब आप कहेंगे कि दौर तो फिल्मी सितारों का होता है। हां वो बात अलग है कि वह प्रसिद्ध है जब वह अपने सटारडम में होते है वह लोग बताते है और सितारे भी खुश होते है कि वह उस समय की बात कर रहे है जिस समय मै बहुत प्रसिद्ध हुआ करता था। या उस समय मेरा बहुत नाम था।
तो चलों अब बात करते है लड़कियों कि कई लोग तो कह रहे होगे कि पांइट की बात तो कर ही नहीं रहा है असल में भूमिका बांधनी भी जरूरी होती है उस समय का दौर बात किस तरह की चल रही है यह बताना भी बहुत ही जरूरी होता है।
अब सारी बातें इस कॉलम में आपको बताने जा रहा हूँ।
सुनो! हमारें मोहल्ले की दो ऐसी लड़कियां थी जो कि समझो खूबसूरत थी हमारे सामने इतनी भी खूबसूरत नहीं थी कि एश्वर्या को पीछे छोड़ दे। नहीं । वो केवल हमारी उम्र के दौर की और उस समय हमें बहुत खूबसूरत लगती थी। मौहल्ले के सारे लड़के उनके पीछे पड़े हुए थे कि मुझसे प्यार करलें। हर कोई इसी फिराक मे रहता था।
आपको पता ही प्यार व्यार कुछ नहीं होता है उस उम्र में जो प्यार जिस कोख से जन्मता है वह कोख होती है सेक्स। सेक्स सबसे पहली चाहत होती है जब वह पूरी नहीं होती है तो उसे प्यार का नाम दे दिया जाता है। ताकि और दूसरा उसके पीछे ना पड़े या फिर वह लड़की जिससे हम प्यार करते है हमारी शक्ल सूरत को देखकर हमें मना ना कर दें। इसलिए यह प्यार का चक्कर चलता है मेरी उम्र में जो मैने उस दौर में हृदय की गहराई से महसूस किया है वह सब आपको बता रहा हूँ। अगर मैनें अपने दौर के उस समय में जो गहराई से महसूस किया है वह यही था कि वहां प्यार नहीं था प्यार किस चिड़ियां का नाम होता है यह मुझे आज तक नहीं पता चला।
क्यांेकि जो लड़के जिस लड़की से प्यार करते थे शारीरिक भूख पूरी होने के बाद या तो लड़की ने उसे ठुकरा दिया था। या फिर लड़के ने अपनी शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी दूसरी पर नजर रखनी शुरू कर दी। यही कहानी कई लड़के या लड़कियों के साथ मेरी आंखों के सामने घटित हुई है जिनका में खुद साक्षी हूँ उनके पढ़ाई का करियर किस कदर धूमिल हो गया यह भी मैने देखा। मै आपकों बताता चलूं मै उस समय ध्यान के प्रथम चरणों से गुजर रहा था। उस समय ध्यान की शिक्षा ग्रहण कर रहा था। और हर व्यक्ति के हृदय के बातों को मै देख पाता था जान पाता था। और उससे एक कदम आगे की भी सोच पाता था।
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