ज्ञान के मोती समेट लो जितने समेटे जाएं।
तांत्रिक मार्ग से जाने वाले लोग
एक दिन बाजार में गया तो वहां बहुत सारी जादुई किताबें रखी हुई थी उनके नाम भी कुछ इस तरह थे जादुई किताब, तांत्रिक, श्मशान का तांत्रिक, सब कुछ पालो केवल इस किताब से, कुछ इस तरह के नाम लिखे हुए थे।
फिर मेरी नजर एक किताब पर गई जहां पर एक हसीना और एक तांत्रिक के बारें में जिक्र हुआ होता है किस प्रकार तंात्रिक ने अपनी तांत्रिक शक्ति से हसीना को बस में किया और उसके साथ अपनी शरीर की प्यास बुझाई और अब वह हसीना हर रोज तड़पती लेने के लिए।
तांत्रिक नजर
हमारे जैसे नवयुवा इन किताबों को देखकर भौखला जाते है ना जाने इन्हें पढने के बाद हम कौन सी जंग जीत जाएगें।
आखिर कार ऐसा होता कुछ नहीं है। टाईम खराब होता है। अगर आप किताबों पर लिखी हुई बातों पर ध्यान देगें तो पाएगें कि ऐसी कोई चीज पाना तो आसान है पर जो विधि उन्होंने लिखी होती है उसे कर पाना हर एक के बस की बात नहीं है।
चलों मान लो कोई एक हिम्मत करके कर भी लेता है तो उसे कुछ हासिल नहीं होगा। फिर वो किसी गुरू के चक्कर में फंसेगा। गुरू उसे मिलेगा नहीं जो उसके पास सुख चैन है वो तो गवां बैठेगा ही साथ में समय, धन यह सबकुछ गवां बैठेगा। इसलिए मेरी हाथ जोड़कर विनती नौजवान पीढ़ी से कि अपना हर एक कदम फंूक-फूंक कर रखें इस उम्र में। मतलब बहुत ही सोच समझकर ही किसी कार्य को करना चाहिए।
कुछ लोग किस्मत को बहुत ज्यादा मानते है।
कुछ लोग किस्मत पर इतना ध्यान देते है कि वह अपना कर्म करने पर इतना ध्यान नहीं होता है। वास्तव में देखा जाए तो ये वही लोग है जिन्हें कार्य करने से डर लगता है किसी कार्य करने की पहल। ऐसे व्यक्ति जो किस्मत के सहारे बैठे रहते है वह कोई नया कार्य नहीं कर सकते है।
माना किस्मत है पर अपने सद्कर्म से उसे बदला जा सकता है। दोस्तों मै अपने अनुभव और गहरे ध्यान के अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ कि ऐसा कोई लिखित भाग्य मानव का नहीं होता है। उसके पास यूनिवर्स की वो सारी शक्तियां है जिन्हें वह तांत्रिक-मांत्रिक के चक्कर में पडकर पाने का प्रयास करता है।
मै अपने जीवन के अनुभव से यह कह सकता हूँ कि आप मेरी कही हुई एक विधि अपना लो जीवन और कुछ मत करना।
अपनी सांसों पर ध्यान लगाना शुरू कर दो। आपका जीवन पूरी तरह बदल जाएगा।अपनी नाभि पर ध्यान लगाना शुरू कर दो कुदरत के रहस्य प्रकट होने शुरू हो जाएंगे।अपने मस्तिष्क के बीचों बीच दोनों बहों के बीच ध्यान करना शुरू कर दों समस्त शक्तियां खीची चली आएगी।
ध्यान क्या है
यह भी आपको बता दू बस कही जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि ऐसा प्रखर गुरू आज के युग आपको कही नहीं मिलेगा कि आपको सम्पूर्ण ज्ञान दे सकें। बस आपको सोचना नहीं है
अपने दिमाग में कोई विचार नहीं आने देना है बिल्कुल शून्य होकर किसी भी कुर्सी, मेज, धरती पर आप बैठ सकते है। जिननी देर तक आप बैठैगें आपको उतनी ही शांति मिलेगी। आपके कार्य करने की क्षमता में विकास होगा।
इसके अलावा दुनिया मे और कुछ नहीं है। सही बताओं तो ध्यान जागृत होने के बाद ही जिंदगी जीने का मजा है हमें हर वस्तु की समझ बहुत ही गहराई से होने लगती है। अगर हम बिना ध्यान के जी रहे है तो मृत समान ही है।
अपनी जिंदगी को किसी के सहारे मत छोड़ों।
हमारी अपनी जिंदगी है हम इसे किसी के सहारे नहंी छोड़ सकते है। सब क्षणिक प्यार है । सब क्षणिक है। उससे प्रेम करों जो सदा है सदा से है और सदा रहेगा।अब आप कहेगे कि शादी, किसी लड़की से प्यार न करें। यही दो बातें मस्तिष्क मे सबसे पहले आती है।
मै यह नहीं कहता कि आप इस रास्ते को छोड़ो शादी करों, किसी लड़की से प्यार किया है तो उससे शादी भी करो। पर इस प्रेम के चक्कर मे परमानन्द को भूल जाओं यह मै नहीं चाहता हूँ।अपने जीवन के हर कार्य करों पर मन से ईश्वर की भक्ति की करोगे तो आप का जीवन धन्य हो जाएगा।
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