एक रूहानी यात्रा
सुबह होते ही एक ऐसी ठण्ड़ी सी फुवार मेरे चेहरे पर आई उससे मेरा सर ठण्डा हो गया। मैं भीतर से अपने आपको काफी ऊर्जा से भरपूर महसूस कर रहा था। जैसे कड़ी धूप में किसी पेड़ के नीचे बैठ जाए और वहां आपको ठण्ड़ा पानी मिल जाए तो जो ताजगी मिलती है वही ताजगी थी उस समय अचानक से थोड़ा थोड़ा प्रकाश मुझे महसूस हुआ जैसे सुबह अभी हुई हो।
यह बातें दोस्तों मैं ध्यान के बारें में कर रहा हूँ। ध्यान आप लेटकर भी कर सकते है। आप बैठकर भी ध्यान कर सकते है। ध्यान कुछ नहीं एक मीठी सी नंींद होती है। पर इस ध्यान की नींद में हमें सबकुछ पता होता है। जैसे हम बाहर की आँखों से जागने पर देखते है वही सबकुछ हमें अन्दर चक्षुओं से दिखता है ये अन्तर चक्षु कैसे होते है यह तो दोस्तों मैने भी नहीं देख पाया।
हां पर वह रूहानी सफर मुझे अन्दर से फिर से झकझोर देता है बार-बार उसी रूहानी सफर पर जाने को मन करता है।
यहां आकर इतना आनन्द होता है ना कोई डर ना कोई फ्रिक ना कोई परेशानी ना भूख ना ही प्यास यहां होती है। यहां होता है तो सिर्फ आनन्द।
आनन्द भी उस स्तर का होता है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हो।
इस यात्रा को अपने शब्दों में बखान करना बहुत मुश्किल है जो मैने वहां देखा उसे शब्दों के माध्यम से प्रकट करना बहुत मुश्किल होता है। हर एक अहसास हर एक अनुभव बिल्कुल नया होता है। बहुत ही नया।
ऐसा हमने किसी फिल्म मे भी नहीं देखा आजतक।
पर उस आनन्द की कोई सीमा नहीं होती है। वहां कोई नहीं होता है पर ऐसा लगता है कि मैं असल में अपने घर आ गया हूँ। वहां बोलने वाला कोई नहीं होता है वहां आवाज देने वाला भी
मेरे अन्तर मन की यात्रा
उस ठण्डी फुवार ने जो किया उसने मेरी जिंदगी बदल दी। फिर मैंने अपनी आँख बंद की और ऐसा महसूस होने लगा कि मै की जा रहा हूँ एक अन्धेरी सी रात में गुफा तो मै नहीं कह सकता हूँ क्योंिक थोड़ी देर के बाद मुझे सुबह जैसे थोड़ा प्रकाश दिखा और जो मेरे घर के बाहर था वहां पर एक साईकिल भी खड़ी थी जो मैनें ध्यान में देखी एक घर की बड़ी सामने की दीवर में एक आला दिखाई दिया जो आजतक मैंनंे कभी नहीं देखा था।
पर ध्यान के वक्त वह दिखा पर जब मैने अपने ध्यान से बाहर आकर देखा तो वहां वही साईकिल ज्यो कि त्यो खड़ी थी और वह आला भी ज्यो का त्यो दिखाई दिया पर हैरानी की बात तो यह कि मैने आज तक उस आले पर ध्यान नहीं दिया पर आज मैने जब उसे देखा तो आश्चर्य की सीमा न रही क्योंकि ध्यान के बाद मैने जब उसे देखा तो बड़ा ही आश्चर्य हुआ।
ध्यान नही मेरे अन्तर मन की यात्रा थी।
मैने धरती का छुआ उस छुवन का अनुभव ही अलग था।
मेरा शरीर एक पंख तरह हल्का था। जहां मै एक पंख की तरह ही कार्य कर रहा था मै धरती पर बैठने की कोशिश कर रहा था पर जैसे हवा मुझे ऊपर उठाने की कोशिश कर रही थी।
वह हल्कापन इतना आनन्ददायक था। कि आपको शब्दों में कह नहीं सकता।
शरीर का विशाल बड़ा होना।
फिर मेरे मन में एक विचार आया कि इस सूक्ष्म शरीर से अपना आकार बड़ा कर सकता हूँ यह विचार किया था कि मैं एक विशाल शरीर के साथ ऊपर हनुमान की तरह उड़ने लगा। वह शरीर इतना विशाल था कि मैं एक पर्वत को उठा सकता था।
लेकिन इतना विशाल होते हुए भी मेरा वह शरीर हवा में ऊपर तैर रहा था।
मैं जैसे ही विचार आया आगे चलना है तो मै गति कर पा रहा था।
बस मुझे उस शरीर में एक विचार को लाना था कार्य अपने आप हो रहा था।
यह अनुभव भी एक बड़ा ही अद्भूत था। फिर थोड़ी देर के बाद मैने विचार किया कि मै अपनी नाभि के ऊपर बैठ जाऊ ताकि अपने फिजिकल शरीर को देख सकूं।
फिर मैं वहां एक तपस्वी की तरह बैठ गया। फिर मेरा ध्यान अपने हाथों पर गया ध्यान जाते ही मेरे हाथों में जैसे सूर्य निकल आये हो । दोनों हाथों में सूर्य की तरह ऊर्जा चमक रही थी यह देखकर मै फिजिकल शरीर में आना चाहता था यह विचार किया ही था कि मै अपने फिजिकल शरीर में वापस आ गया।
दोबारा दरवाजा नहीं खुला।
दोस्तों यह रूहानी सफर था जिसने मेरे अन्दर केवल एक यात्रा ने बहुत बदलाव कर दिया जैसे मेरे सोचने समझने की शक्ति बढ़ गयी हो मै कुछ ऐसे चीजो को अनुभव कर पाता हूँ जो भविष्य मंे होने वाली हो।
कभी कभी ऐसा होता है कि वह पल जिस पल से मै वर्तमान से गुजर रहा हूँ ऐसा लगता है कि मै इस पल में पहले भी जी चुका हूँ यह पल मै पहले भी देख चुका हूँ।
आज मेरा रोम रोम इस एक पल के लिए तड़प रहा है
दोस्तों बहुत कोशिश करके देख ली मैने पर बिना श्री भगवान की कृपा से यह स्ंाभव नहीं है। कोई ऐसा गुरू या ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो आपको यह यात्रा करा सकें।
क्योंकि यह अपने आप में एक अद्भूत बात है यह अकल्पनीय है। यह यात्रा शब्दों से परे है। यह भगवत गीता का सार है। यह गुरू का ज्ञान है। यह एक तपस्वी की तपस्या है। यह स्वर्ग से भी परे है। यह एक ईश्वरीय कृपा ही है। जो उन्होने मुझ पर बरसाई थी। पर मेरी समझ में आ गया है कि इस पूरे ब्रहामाण्ड में एक ऐसी शक्ति कार्य कर रही है जो सबका ध्यान रखती है अगर आपको भी ईश कृपा चाहिए तो बस आपको इतना ही कहना है इसके अलावा कोई मंत्र कोई माला जप कोई काम नहीं आएगा।
पूरे आत्म समर्पण और पूरी श्रद्धा से अपने अन्दर के मन से हाथ जोड़कर कर बस इतना ही कहना है हे प्रभु! आप ही मेरे जन्म दाता हो आप ही मेरे रक्षक मेरे माता-पिता मेरे गुरू मेरे सखा मेरे मित्र हो। बस आप मुझे अपनी अंगुली पकड़कर चलना सिखाईये। मै पूरे यकीन पूरे विश्वास से कहता हूँ आप पर कृपा होगी।
हां अगर हृदय में जरा सी भी पाप की भावना लालच हुई तो आप इस कृपा से वंचित रह सकते है यह वही शक्ति है जो इस संसार के कण-कण में बसी है तो हमारे हर कर्म हर विचार का उसको पता है बस हमें ईमानदारी से उसके सामने अपने आपको अपने कर्माे को रखना है बस वह हमारे मुख से सुनना चाहता है अपने पापों को स्वीकार करने की हिम्मत रखें एक बड़े से बड़े और छोटे से छोटे तभी वह शक्ति भी आपको क्षमा करने की हिम्मत रखेगी।
बस आपको एक आईने की तरह सब कुछ, कुछ भी छिपाना नहीं है बोल देना है। मैने इतने बुरे कर्म किए है यह स्वीकार भाव ही वह ईश्वरीय शक्ति देखना चाहती है यह समर्पण ही देखना चाहती है बस इन सबके बाद आप सबकुछ स्वीकार करके अपने आपको ईश्वरीय शक्ति के हवाले कर दों।
जैसे एक चोर अपने सारे जुर्म स्वीकार करके अपनी सजा के लिए चल देता है और अपनी सजा काटता है। पर वहां पर आपको सजा नही अपनी कृपा से आनन्दित कर देने वाली शक्ति है बस दोस्तों अन्दर एक तिनके भर भी किसी बात को छुपाना नहीं है। अगर आपको रोना आ रहा हो तो पूरा अन्दर भीतर ही भीतर अपने आपको रोने दो। ताकि कोई भी लेश मात्र संदेह आपके भीतर न रहें।
फिर आप जो चाहे कर सकते है।
दोस्तों इसी प्रार्थाना से आज मेरा जीवन धन्य हो गया है। मेरा जीवन एक नए सिरे से शुरू हुआ है आज मेरे जीवन में आनन्द ही आनन्द है जीवन में जीते जी भी और मरने के बाद भी हम अपनी इच्छानुसार अपना अगला शरीर धारण कर सकते है यह क्षमता भी हमारे भीतर आ जाती है।
बस आपको अपने प्रति ईमानदार रहना है किसी के साथ छल कपट नहीं करना है। किसी का दिल नहीं दुखाना है देने की भावना से कार्य करें।
किसी को सुख पहुंचाने के भाव से कर्म करें।
बस यही पूजा यही प्रार्थाना है जो आपको सबकुछ दे देगी।
इसी प्रार्थाना ने मेरा जीवन बदल दिया है। इसी शक्ति कृपा से आज मैं यह ब्लॉग लिख पाया हूँ। दोस्तों जब भी आप मेरा यह ब्लॉग पढ़ रहे होगे आपको आनन्द की अनुभूति जरूर होगी ।
क्योंकि इसमें ईश्वरीय शक्ति का स्पर्श है।
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