आज दिनांक 22.11.2023 दिन बुधवार को में यह आर्टिकल लिख रहा हूॅ दोंस्तों कुछ विचार मेरे मस्तिष्क में आए है जो मै आपके साथ शेयर कर रहा हूॅ। 23.11.2023 दिन बृहस्पतिवार को उसकी शादी है। शादी मेरी बुआ की लड़की की है। जिसका नाम अंजना है। मेरी बुआ को गुजरें अभी दो महीने भी पूरे नहीं हुए है अब शादी पहले ही तय कर दी गई थी सो अब करनी ही पड़ेगी क्योंकि कुछ आगे पीछे हटाकर भी कुछ नहीं हो सकता है।और लड़की की शादी तो ऐसी है दोस्तो जितना जल्दी बाप के घर से विदा हो जाए उतना ही अच्छा है अब ये लाइन मुझे इसलिए लिखनी पड़ रही है क्यांेकि शादी का मामला ही कुछ ऐसा है और मामला है लवमैरिज का हमारें पुफा को भी मजबूरन यह रिश्ता करना पड़ रहा है। अब आज के युग कौन किसी को देखता है दोस्त। सब के सब अपना-अपना उल्लू सीधा करने में लगें है।
ईश्वर की खोज |
ईश्वर की खोज
जब से होश सम्भाला है जबसे एक ही बात सुनने को मिलती है भगवान सबका भला करेगें पर वास्तव में आप अपने हृदय की गहराई से सोचकर देखों वास्तव में ही भला होता है अगर ऐसा होता तो इस प्रकार पूरी दुनिया में त्राहि-त्राहि न होतीं। आज हर इंसान परेशान है कोई किसी कारण से कोई किसी कारण से पर पेरशान जरूर है अब ऐसे में इंसान करे तो करें क्या। बहुत ज्यादा परेशानी महसूस करने पर इंसान गलत बाबाओं के चगंुल मे फंस जाता है। फिर ये बाबा लोग अपना उल्लू सीधा करते है। अब इंसान बेचारा करें तो करें क्या।
अब अगर कोई व्यक्ति खुशहाल है और ये विचार उसके सामने रखे जाए तो वो कुछ ईश्वर की तरफदारी कर सकता है।
पर वह व्यक्ति जिसे एक रोटी के निवाले के लिए दर-दर भटकना पड़ता है उससे पूछकर कर तो देखों।
धर्म से जुड़े नाटकों का एक बच्चें के मस्तिष्क पर प्रभाव
धर्म से जुड़े नाटकों को देखकर जो गलतफेमी बच्चे मस्तिष्क पर बनती है उसे कोई नहीं जानता है आप बच्चें को छोड़ों एक समझदार व्यक्ति की ही बात कर लों अब अगर हम वेदों की तरफ मुड़तें है तो उनमें भी लोंगों ने अपनी मन मुताबिक ऐर-फेर किए हुए है अब मानव करें तो करें क्या किस डॉक्टर या नीम-हकीम के पास जाए जो यह बता दें कि भाई ये वो रास्ता है जों केवल ईश्वर को जाता है इतने दिन महीने साल मंे आप वहां पहुॅच जाओगे। फिर तो इंसान कुछ कोशिश कर सकता है। पर ये ही निश्चित नहंी है कि उस पथ पर चलने से भगवान मिलेंगें या नहीं फिर तो इसमें कोई भी हो इतना समय उसके पास नहीं है कि केवल वह भक्ति ही करेगा। उसे परिवार से जुड़े कर्तव्यांे का निभाना समाज का भी देखना है कुछ छोटे-मोटे धार्मिक कार्य भी जुड़े होते है बच्चे उनकी पढ़ाई सभी इस छोटी सी उम्र जो 50 या 80 साल की मिली है। ये कार्य करने पडतें है।
एक गरीब इंसान की जिंदगी।
दोस्तों एक गरीब इंसान दुनिया में आता जरूर है पर जीवन भर बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। और इस गरीब का कोई सहारा नहीं होता है होने को कहते है गरीब का सहारा बाबा श्याम हमारा। पर ऐसा कुछ नहीं है यार।
अब आपका दिमाग सरकारी योजनाओं की तरफ मुड सकता है जो कुछ थोड़ा पढ़ा-लिखा है लेकिन अब आपको बताता चलू। इन सरकारी सुविधाओं का लाभ कुछ ही गिने चुने लोगों को मिलता है वास्तव में जिन व्यक्तियों का इनका लाभ मिलना चाहिए वे सदैव इनसे वंचित ही रहते है।
और अगर योजना आएगी तो आते-आते दम तोड़ देती है।
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