लेखक
कुछ विद्यार्थी इतने होनहार होते है कि वह शुरू से ही लिखाई का कार्य शुरू कर देते है। वैसे तो आजकल सभी के मन में लेखक के बारें में जानने की जिज्ञासा रहती है। क्या हम भी लेखक बन सकते है।
एक विद्यार्थी जो गहन अध्ययन करता है उसे यह बताओं कि क्या आप लेखक बनना चाहते है।
तो वह आप पर हंसेगा। कहेगा यह भी कोई बनने की बात है। यह सच्चाई भी है जब हम गहन अध्ययन के प्रति आतुर होते है तो हमारी लेखनी स्वयं उठ जाती है उसे किसी के कहने का इंतजार नहीं होता है।
जैसे अगर आप पानी पीयोगें तो शरीर थोड़े ही कहता है अब आपको इस पानी को पचाना भी होगा इसके लिए भी अलग से कार्य करना होगा। नहीं यह स्वयं की क्रिया होती है जब हम एक गहन अध्ययन करते है तो लेखक अपने आप बन जाता है
क्योंकि गहन अध्ययन से हमारे मन में लाखों बाते आती है जिन्हें एक कोरे कागज पर
उतारना जरूरी हो जाता है अब शुरूआत में चाहें क्रम गलत हो लेकिन धीरे-धीरे यह क्रम
अपना एक सुन्दर रूप लेने लगता है।
एक लेखक बनने के लिए हमारा सफर कहां से शुरू होता है।
एक लेखक बनने के लिए सबसे जरूरी जो कार्य है वह है अध्ययन जितना हम अध्ययन करते जाएगें उतना ही हमें ज्ञान होता जायेगा। और जब हमें ऐसा लगें कि हम इस विषय पर इतना अध्ययन कर चुके है और अब जो अध्ययन करते है वह हमारे सिर के ऊपर से जा रहा है तो उस समय हम कुछ लिखने के काबिल हो चुके है।
अब मैं आपको अपनी कही बात को स्पष्ट करता चलूं कि जो अभी मैनें लिखा कि सिर के ऊपर से चला जाएगा। इसके दो अर्थ भी हो सकते है पहला अर्थ यह कि पढ़ने वाले की कुछ भी समझ ना आया और सिर के ऊपर से चला गया।
दूसरा आपने जो मैटर पढ़ा और पढ़कर ऐसा लगा कि नही यार ऐसा नहीं होना चाहिए था इसे यहां ऐसा लिखना चाहिए था मै अगर यह लेख लिखता तो इससे बेहतर लिख सकता था।
जो यह दूसरी लाईन
मैने लिखी है दूसरी बात मैने कही है दोस्तों इससे से ही अर्थ स्पष्ट होता है। इस
त्रिगुणात्मक सृष्टि में तीनों गुणों से सम्पन्न मनुष्य अपनी अपनी प्रवृति के
अनुसार भी कई बार अर्थ निकाल लेता है फिर टीचर की गलती निकल जाती है कि उसने तो ये
कहा था इसलिए मैं अपनी बात को स्पष्ट करते हुए चल रहा हूँं।
लेखक
बनना आसान होता है या मुश्किल
बहुत
से विद्यार्थी यह सवाल पूछते है कि लेखक बनना आसान है या मुश्किल इस पर मैं यह ही
कहना चाहूंगा कि यह बात आप अज्ञान के कारण ही पूछ रहे हो। बिना सोचे समझे
विद्यार्थी दिनों में यह प्रश्न किए जाते है। पर मैं आपको बताना चाहूंगा यह एक हम
एक सुन्दर उदाहरण लेते है।
एक व्यक्ति जिसे फिल्म देखना ही पंसन्द है वह इस मूवी के चक्कर में शायद एक वक्त का खाना भी भूल जाए क्योंकि सीन ही इतने अच्छे-अच्छे आ रहे है कि देखने वाला अपनी भूख-प्यास ही भूला बैठा है। अब बात करते है एक दूसरे व्यक्ति की जिसे यह मूवी पंसन्द नहीं है यह एक एक्शन मूवी हो सकती है या कोई रोमांस वाली।
तो बात चल रही है रूचि की जिस मूवी में जिस किसी व्यक्ति की रूचि होती है वह उसमें अपना सौ प्रतिशत देता ही है। तो इसी प्रकार हम कह सकते है कि हम अपनी रूचि के अनुसार अध्ययन करें आपको एक एक्शन मूवी देखना पसन्द है तो उनके बारें में पढ़ना भी शुरू करें, उसे गहराई से समझें लेखन अपने आप फूट जाएगा।
अब यह मत
कहना कि मुझे लिखना ही नहीं आता भई! पढ़ना तो आता है पर लिखना नहीं यह सब बचकानी
बातें है आगे आप खुद समझदार है। मैं अपनी बातों को पूरी तरह समझानें का प्रयास कर
रहा हूँ वैसे किसी समझदार व्यक्ति के लिए इशारा ही काफी होता है। करने वाले के लिए
कोई हिंट ही बहुत होता है,
और यहां तो मै आपको एक
बच्चे की तरह समझा रहा हूँ।
- आपके दिमाग में बहुत सारें प्रश्न रहते है।
- किस क्षेत्र में लेखक बन सकता हूँ।
- मैं लेखक कैसे बन सकता हूँ।
- मैं एक लेखक बन कर किन किन कहानियों को लिख सकता हूँ।
- मैं किस क्षेत्र मे लेखन कार्य करूं कि सफल हो जाउ।
भई यहां तक तो अगर आपने ध्यान से पढ़ा होगा तो ऊपर इन सवालों के
जवाब आप खुद दे सकते हों।
आखिर मैं लेखक ही क्यूं बनू।
इस प्रश्न के उत्तर मेें मैं यही कहना चाहूंगा भई आप किसी के कहने पर लेखक बनना चाह रहें हों तो फिर तो लेखन कला मुश्किल है हां अगर अपनी इच्छा से लेखन कला चुना है तो फिर यह आसान है।
फिर कोई मुश्किल नहीं है क्योंकि लेखन कला वास्तव में आपके अन्दर की आवाज है जिसे हमें समाज तक एक लेखन कला के जरिये पहुंचाना होता है।
समाज हमारे विचारों को जाने एक व्यक्ति जो भावी समाज के
बारें में अच्छे से सोच सकता है वह अपने लेखन कला के माध्यम से लोगों तक इन
विचारों को पहुंचा सकता है। यही लेखन है यही लेखक की कला है।
अपनी अभिव्यक्ति
अपने विचारों की सुन्दर माला बनाओं और देखों कहां मेले लगते है इन विचारों के कहां
आते है खरीदार इसे ही कहते है लेखन का सागर।
दोस्तों
अगर आप एक लेखक बनना चाहते है तो मैं तो मोटे तौर पर आपको यही कहना चाहूंगा जिस
क्षेत्र में आपकी रूचि है उस पर आपको अच्छे से अध्ययन कर लेना है क्योंकि अधूरा
ज्ञान उस दो धारी तलवार की तरह होता है जो देने वाले और लेने वाले दोनों का काटता
है।
इसलिए
अध्ययन कीजिए। फिर आप जो समझ में आया उसे एक पेज पर लिखें बस आपकी यात्रा शुरू हो
गयी।
इस
निरंतर बनाए रखें। निरन्तरता का ख्याल रखें। आपकी यात्रा मंगलमयी हो।
आगें
आप लेखन के क्षेत्र में इसके गुण धर्म पढ़े जाओ कुछ नहीं होगा।
पढ़िए
और लिखिए। इन दो लाईनों से ही लेखन कला सिद्ध हो जाती है।
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