स्कूल और जिंदगी का प्रतिशत
हम स्कूल में पढ़ते है पास होते है कभी-कभी किसी कक्षा में फेल भी हो जाते है। स्कूल में फेल होना जिंदगी में फेल होना नहीं है। अगर हम किसी कक्षा में फेल हो भी जाते है तो हमें घबराना नहीं चाहिए बल्कि हमें इस बार और ज्यादा मेहनत से काम करना चाहिए।
मेहनत करते समय अपने आपको परखना भी चाहिए। परखना और परीक्षा दोनों में कोई अंतर नहीं है परीक्षा साल में एक बार आती है। परखना एक चेप्टर खत्म होते ही अपने आपकों परखों की मैने कितना इस चेप्टर से ज्ञान अर्जन किया है
यह परखना बार-बार अपने आपको एक चैप्टर के अंत में परखना परीक्षा का भय बिल्कुल खत्म कर देता है। परीक्षा फिर परीक्षा नहीं रहती बल्कि एक अपने आप में खेल का मैदान होता है
जहां हम जितना अभ्यास करके उतरते है उतनी ही
सफलता हासिल करने की गांरटी पक्की हो जाती है। यह गारन्टी केवल अभ्यास के अलावा
आपको कोई दे ही नहीं सकता है।
स्कूल के समय पढ़ाई न करना हो सकता है हमारे लिए बुरा।
स्कूल टाईम हमें खूब पढ़ाई करनी चाहिए। खूब पढ़ाई का मतलब होता है कि माना हमने एक चैप्टर पढ़ा एक एक लाईन का मतलब जानने की कोशिश करों।
अगर किसी लाईन या चैप्टर का अर्थ आपको नहीं पता है तो आप सबसे पहले अपने टीचर से पूछों पहली बात आजकल टीचर को भी इतनी नालेज नहीं होती है कि किसी चैप्टर का अच्छे से ज्ञान दे सकें।
क्योंकि मैने अनुभव किया है कि एक आजकल का
टीचर इतना अच्छा ज्ञान नहीं रखता है आपके पास दूसरा ऑप्शन है नैट आप इसे नेट पर
सर्च कर सकते है। आप यूटयूब पर वीड़ियों देख सकते है। आज हमारे पास कई ऑप्शन
है।
किसी अध्यापक की बात का बुरा ना मानें।
दोस्तों मैने देखा है कि कई छात्र जो अध्यापक के प्रति श्रद्धा भाव रखते है उन्हें कई बार अगर टीचर गुस्से में कोई ऐसी बात बोल देता है जो कि एक छात्र के लिए अनुकूल नहीं होती है।
और छात्र इन बातों को लेकर काफी सिरियस भी हो जाता है कि टीचर ने आज मुझे ऐसा कह दिया अगर टीचर के नजरिये से देखे तो वह एक छात्र समझकर भूल जाता है कि मैनें किसी को ऐसी बात कहीं थी। अध्यापक के लिए तो यह बातें कॉमन होती है पर छात्र कई बार गम्भीर रूप से घायल भी हो जाता है
ऐसी बातों को दिल पर लेने के कारण वह आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लेता है तो दोस्तों अध्यापक की किसी भी बात का बुरा नहीं मानना चाहिए। हमे अपने छात्र जीवन में केवल ज्ञान हासिल करना है किसी टीचर को दिमाग में नहीं बैठाना है कि वहीं हमारे लिए सबकुछ हो गए है जो कहेगें सत्य कहेंगें और ऐसा ही हो जाएगा।
ऐसा
नहीं है दोस्तों जिंदगी की रेस में जो जीतता है वही असली सिंकन्दर होता है किसी
स्कूल के पास फेल करने से कोई पास फेल नहीं हो जाता है यह तो केवल एक माध्यम होता
है अपने आपको सवारने का जितना हम अपने आपको सवारेगें उतना ही अपना कल्याण कर
पायेगें।
अपने आप पर पूर्ण विश्वास रखें।
छात्र को चाहिए कि वह हर स्थिति व परिस्थिति में अपने आप पर पूर्ण विश्वास रखें कि मैं हर बुरी स्थिति से निकल सकता हूँ। मैं सकारात्मकता के साथ चलूगां कभी भी बुरी स्थिति आने पर अपने आपको किसी बुरी संगत में नहीं पडने दूंगा।
अपने आप में एक अच्छी आदत विकसित करें जब आप किसी बुरी
समस्या से जूझ रहें हो। अगर आप बुरी संगत का आचरण करोगें तो आप बुरे फंस सकते हो।
होगा एक ही स्थिति का चुनना। तो क्यों न हम एक अच्छी स्थिति ही क्यों न चुनें।
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