बात है आज की ही हुआ यू की मेरी बेटी है नर्सरी में और मैने वहां पर उसका दाखिला करा दिया।
जहां कभी मैंने नर्सरी की थी। मै तो बहुत खुश था कि जिस स्कूल से मैने पढ़ा है
उस स्कूल से मेरी बेटी भी पढ़ेगी। पर कुछ स्कूल के आचरण की वजह से मैने वहां से दाखिला कैंसिल करा दिया।
अब आचरण स्कूल के स्टॉफ की वजह से ही बनता है।
चलों ये तो थी पिछले स्कूल की बातें पर माँ-बाप तो ये ही चाहेगे कि उनका बच्चा एक अच्छे माहौल में पढ़े एक अच्छी शिक्षा प्राप्त करें, जो उसके जीवन भर काम आएगी।
आज मैनें अपनी बेटी का दाखिला एक नए स्कूल में कराया है जिसका नाम एनडीए है। यह कक्षा आठ तक के बच्चों के लिए है।
वहां जाकर मेरी बेटी खूब रोई चिल्लाई। क्योंकि अभी 3 साल की है और अकेले कही रही नहीं है। माहौल नया है बच्चे भी नए है। सो ऐसा पहली बार होता है
बच्चों के साथ हमारे साथ भी हुआ था जब मेरी माता मुझे पहली बार स्कूल में छोड़कर गयी थी। मुझे आज भी याद है। कि मै खूब रोया था अपनी माता के साथ जाने के लिए। सो इस तरह अपनी बेटी के साथ-साथ मुझे भी अपने दिन याद आ जाते है।
कोई खुशनसीब जो मेरा ब्लॉग पढ़ रहा होगा भगवान उसके घर परिवार को खुश रखें मैं तो आपके लिए यही कामना करूगां।
दोस्तों बड़े ही सुहाने दिन होते है जब माँ-बाप के सामने हम अपना बचपन गुजारते है। आज मेरे माँ-बाप मेरे साथ नहीं है पर उनकी आज बहुत याद आती है।
आज जीवन के ऐसे मोड़ पर पहुँच चुका हूँ जहाँ सारी तरफ एक बहुत बड़ा समुद्र दिखाई देता है पर अपना कोई दिखाई नहीं देता है।
जब हम बचपन में होते है ना दोस्तों एक बड़ी हसीन दुनिया होती है जहाँ हमें कोई रोक टोक नहीं होती है खासकर खाने पीने में तो कोई टोकता नहीं है।
पर जहां हमने दसवी की परीक्षा पास की तो समझों आपके कधों पर जिम्मेदारी आनी शुरू हो जाती है यह दोस्तों हर एक आदमी के हिस्से मे इस तरह की जिंदगी नहीं आती है। कई बदनसीब ऐसे भी होते है जिन्हें अपने माँ-बाप देखने को नहीं मिलते है।
बड़ी अजीब जिंदगी है। यह दोस्तों ।
आज जिंदगी के जिस मोड़ से मुझे गुजरना पड़ रहा है दोस्तों शायद ही कोई बदनसीब होगा। आज मैं अपनी जिंदगी बिल्कुल अपने किसी बड़े के बीता रहा हूँ यहाँ कोई रोकने वाला नहीं टोकने वाला नहीं है सब कुछ सूना पन है।
आज हर घड़ी रोने का मन करता है पता नहंी दोस्तो जब आप मेरा ये ब्लॉग पढ़ रहे होगे मै रहूँगा भी या नहीं । मैं आपकी प्रतिक्रिया को देख सकूँगां या नहीं कि आपको पढ़ने के बाद कैसा लगा।
दोस्तों मेरा ब्लॉग शायद कोई पढे़ भी या नहीं अगर पढ़े तो पूरा भी पढ़े या नहीं ये भी बहुत अजीब बात है।
शायद कोई दोस्त मेरा ब्लॉग पूरा पढ़े । ये बात दोस्तों मैं इसलिए लिख रहा हूँ क्योकि जब एक मनुष्य अपने किसी दूसरे साथी से बताता है और अगर वह पूरी बात न सुने तो अजीब सा लगता है ना।
उसी प्रकार अगर कोई आदमी पूरी बात सुन लेता है तभी वास्तव में वह क्या कहना चाहता है उसका पता चल पाता है और अच्छा भी लगता है कोई हमारी बात को पूरा कम से कम सुन तो रहा है।
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