दोस्तों आज दिनांक 25.11.2023 को यह आर्टिकल लिख रहा हूॅ।
आज आपकों में गांव फैलें एक काले सच से रू-ब-रू कराउगां। |
आज आपकों में गांव फैलें एक काले सच से रू-ब-रू कराउगां।
बात ज्यादा पुरानी नहंी है। यही कुछ आज कल की है।
दोस्तों कल पूरी रात में सो नहीं पाया कारण में आपकों पिछलें आर्टिकल में बताता जा रहा हूॅ।
मेरी मॉ की तबीयत कुछ दिनों से काफी खराब चल रही है। तो में सही से सो नहीं पा रहा हूॅं । वास्तव में हम सभी घर के लोग काफी परेशान हैं एक छोटी बहन और एक भाई है जिनकी अभी शादी होनी है वह कुवारें है। और माता का स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण बस चिंता बनी रहती है।
अब में आपकों बताता हूॅ मुददें की बात
माता का स्वास्थ्य खराब हुए हो गए दो हफ्तें हो चुके है अब जो मेरी मौसी है वह कुछ काले जादू पर कुछ ज्यादा विश्वास करती है। तो होता क्या है मेरी छोटी बहन है वह अचानक से हिलने लगती है और कुछ बड़बड़ाने लगती है अब हमें इससे अज्ञात मेरी मौसी कहती है कि इसके शरीर पर तो काली आयी हुई चलों इससे ही तेरी माता के ठीक होने के बारें में पूछते है। और वह पूछते है मौसी कहती है माई मैनंे तुम्हारी इतनी सेवा की है मेरी तरफ भी देखों मेरे बच्चें इस तरह से ठीक नहीं है कहीं काम नहीं लग रहा है। और ये बोहती मेरी बहन इसकी तबीयत भी काफी खराब है पता नहीं कब ठीक होगी। यह सब सुनकर मेरी छोटी बहन जिसके शरीर पर कुछ काली माता का असर आया हुआ था। कहती है कि एक दिन छोड़कर परसों को यह अपनी होश में आ जाएगी। और हुआ भी कुछ ऐसा ही। पर जो कृत्य मैनंे देखा उसकों देखकर विश्वास भी होता है पर विश्वास नहीं भी होता है। आज विज्ञान नें इतनी प्रगति कर ली है कि इन भूत-प्रेत की कहानियों पर कौन विश्वास करना चाहेगा।
आर्टिकल बिना फोटों के
दोस्तों मुझें अभी इतना समय नहीं मिल रहा है कि आपके साथ में कुछ इमेज शेयर कर सकता। मेरे आर्टिकल भी अभी पूरे नहीं हुए है । दोस्तों यह बिल्कुल रियल लाईफ की घटनाएं आपके साथ शेयर कर रहा हूॅ । शायद इन घटनाओं से आपकों बहुत कुछ सीखनें को जरूर मिलेंगा।
गांवों-गांवों की कहानी
अगर कोई इंसान इतना परेशान है कि वह ड़ॅाक्टरों के चक्कर लगा लगाकर थक चूका है तो अब मात्र उसका एक ही सहारा होता है । और वह होता है कि कोई हो ऐसा व्यक्ति जो उसका हाथ पकड़कर कहें कि मै तुम्हारें साथ हूॅ। बस यही से शुरू होता ये सफर गांव-गांव का।
कोई व्यक्ति कहता है कि उस गांव में फलाना बाबा बैठता है लेता कुछ नहीं बस एक बार चले तो जाओं क्या पता वहां से आपके मरीज को आराम मिल जाए कहा है न कि मरीज को दवा और दुवा की दोनों की जरूरत होती है अतः हमने दवा तो कितनी कर ली बस अब दुआ और काम आ जाए शायद बात बन ही जाए। दोस्तों वास्तव में आपकों जो सच्चाई यह है कि होता कुछ नहीं इन सब बातों से बस मन को तसल्ली देने वाली बात है मरीज अपने समय पर ही ठीक होगा। इन बाबाओं के चक्कर में पड़कर एक तो समय और दूसरा पैसा दोनों ही बर्बाद होते है। भले ही वह कितने कहे कि मै पैसे नहीं लेता लोग कहते है कि वह बाबा पैसे नहीं लेता है पर दोस्तों बिना पैसे के वह देखता भी नहीं है क्यांेकि वह बैठा ही पैसे के लिए है वह उसकी रोजी रोटी है अगर वह ही नहीं मिली तो फिर बैठने का ही क्या फायदा। हमारें दिमाग में जो इमेज है वह पुरानें साधु-संतों की है पर आजकल उसका उल्टा है। सो इनके चक्कर में पड़ना बेकार है।
गांव में छोटे बच्चें भी नशें की लत के शिकार
गांवों में इस समय इतना बुरा हाल है कि छोटे-छोटे बच्चें भी नशें की लत में पड़ें हुए है। सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू आदि जो भी नशीले पद्धार्थ लेते है जहां तक में अपने आसपास देखता हॅॅॅू कि उनके माता-पिता भी नशे के आदि है सो एक कारण यह भी हो सकता है मानसिक तनाव और अनेकों कारण हो सकते है पर कारण कोई भी हो आज गांवों में एक भी बच्चा ऐसा नहीं है जो नशा न करता हो।
गांवों में परचून की दूकानों का हाल
गांवों में जो परचून की दुकान होती है उन पर जाकर छोटे बच्चे नशा सिखते है वहां पर होता क्या शाम के समय अपने काम को निपटाकर कुछ बड़े बूढ़े दुकानों पर बैठ जाया करते है और अपने रोजमर्रा की बातें करते है यह सब छोटे बच्चे भी देखते है और इसी देखा देखी में वह इतना आगे निकल जाते है कि फिर मुश्किल होता है पीछे लौटना शुरूआत में तो बडे़ भी ध्यान नहीं देते इन बातों पर।
पर जब हाल बुरा हो जाता है तो फिर क्या होता है वहीं होता है जो मंजुरे खुदा होता है।
दुकानों पर बच्चें माता-पिता से छुपकर बीड़ी सिगरेट खरीदते है पैसे नहीं होने पर उधार लेते है और उस उधार को चुकाने के लिए कभी घर से अनाज तो कभी आटा बेचते है। और यह लत पक जाने पर घर के जेवरात भी खतरें में आ जाते है। फिर तो सत्यानाश! कुछ नहीं हो सकता।
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