भूलने की बीमारी
भूलने की बीमारी आजकल युवा हो या बच्चा सबको हो गयी है। पहले जमाने में आपको याद हो तो कुछ लोगों को डायरी लिखने की बहुत ही अच्छी आदत हुआ करती थी। अब यह आदत अच्छी कैसे हो सकती है। यह आपके मन में प्रश्न बनकर प्रकट होगा। आपको बताता चलंू कि समय सभी कालों मे एकसा ही रहता है। रही मनुष्य की बात तो हम किस स्थिति व परिस्थिति में रह रहें है यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मान लीजिए आप किसी ऐसे व्यक्ति को मिलते है जो एक ही सबजेक्ट पढ़ाता हो या पढ़ता हो तो आप पाएगें कि उसकी सबजेक्ट पर पकड़ के साथ-साथ अच्छी याददाश्त भी है अब यह कैसे हुई। चलिए थोड़ी सा और आगें चलते है।
अब आप एक ऐसे व्यक्ति के पास जाते है जो कहेें कि मुझे दिन में 5-6 विषय पढ़ने पड़ते है तो यहां वह व्यक्ति कहेगा कि मेरी याददाश्त अच्छी नहीं है उसकी भी यही समस्या हो सकती है जो आपकी और हमारी है।
अब अगर एक ऐसे व्यक्ति के पास जाओं कि जो दिन भर अपना आफिस का कार्य करता हो, उसके बाद वह सरकारी नौकरी भी पाना चाहता है एक दो यूटयूब चैनल भी खोले हुए है। और दिन भर इधर-उधर के काम भी करता है तो ऐसे व्यक्ति के बारें में आप क्या कहेगे।
शायद ऐसा व्यक्ति कुछ भी मेमोरी ना रखता हो। अब ऐसा व्यक्ति क्या-क्या याद रखेगा। वैसे अगर आप इसकी तुलना पहले दो व्यक्तियों से करेगें तो उनसे बेहतर कार्य को अंजाम देगा। पर याददाश्त के मामलें में फिसड़ी।
अब आपको यहां एक बात पर ध्यान देना होगा कि जो व्यक्ति केवल एक ही विषय पर कमाण्ड रखता है उसका अभ्यास अच्छा हो जाता है। दूसरा जो अधिक विषय पढ़ता है उसका प्रत्येक विषय के बारें में कम अभ्यास हो पाता है।
बात अगर सक्षेप मंे करनी हो तो बात सारी अभ्यास की है। हम जिस विषय का अभ्यास ज्यादा कर पाते है उस विषय पर हमारी पकड अच्छी हो जाती है। तो दोस्तों यही है एक अच्छी याददाश्त का फॉर्मूला।
अभ्यास, अभ्यास, और केवल अभ्यास से ही अच्छी याददाश्त और कोई भी कामयाबी।
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