गोगामेहड़ी का मेला।
सहारनपुर। अपने शहर में हर वर्ष गोगामेहड़ी का मेला बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष मेले का आयोजन 13 सितम्बर से 15 सितम्बर 2024 तक रहा। सबसे पहले गोगा मेहड़ी पर निशान चढ़ाए जाते है। यहां पर दो दिन तक भक्तगण आए। अपनी जो मनोकामना या मन्नत मंागी होती उसी को ध्यान में रखकर कुछ भक्तगण बहुत संख्या में आते है यहां इस मेहड़ी पर जो गंगोह रोड़ पर स्थित है कि जो मन्नत मांगते है वह पूरी होती है। ऐसा यहां का मानना है। यहां कि जो ईट मेहडी निर्माण में राजस्थान से ही लाई गयी थी।
पुल के नीचे मेला भरता है
गोगामेहड़ी गंगोह रोड़ मेला 2 दिन बाद अपने शहर पुल के नीचे शिफ्ट हो जाता है। यहां कम से कम एक महीने तक कार्यक्रम चलता रहता है। यहां भी काफी चहल-पहल रहती है। गांव-गांव के सभी बूढ़े बच्चे नवयुवक औरते सभी यहां मेला देखने के लिए आते है। मेले में काफी भीड़ होती है। और शाम के समय तो समा देखते ही बनता है। शाम की सुन्दर छठा मनमोहक होती है। जो सभी का ध्यान अपनी ओर आर्कषित करती है।
गंगोह रोड़ की रौनक
गोगामेहड़ी पर निशान चढ़ने के साथ-साथ रौनक भी बढ़ जाती है जो काफी आकर्षित करने वाली होती है। मेहड़ी पर प्रसाद चढ़ाने के समय इतनी बड़ी भीड़ होती है कि पैदल व्यक्ति भी नहीं निकल सकता। एक तरफ जहां भीड़ तो होती ही है साथ ही मेले में अनेक प्रकार की दुकाने आपकों देखने को मिलेगी। बच्चों के खिलौनें के लिए अनेकों दुकानें होती है जहां से बच्चे खिलौने खरीदने के लिए जिद करते है। काफी ही मनमोहक दृश्य होता है।
आसपास के मेले और गोगामेहड़ी का मेला।
सहारपुर के आस-पास जो गांव है वहां पर सबसे पहले छोटे-छोटे मेले लगते है बात अगर करें शुरूआत की तो सहारनपुर के गांव भोझपुर गोगामेहड़ी पर एक छोटा-सा मेला भरता है। यहां भी काफी चहल-पहल होती है। आस पास के गांव से यहां भी गोगामेहड़ी पर प्रसाद चढ़ाने लोग आते है।
भोझपुर के अगले दिन या दो दिन बाद पिलखनी गांव में भी गोगामेहड़ी पर मेला लगता है यहां भी कम से कम दो दिन भरता है। यहां भी काफी रौनक देखने को मिलेगी।
प्रत्येक वर्ष सितम्बर-अक्टूबर में यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है। हर वर्ष मेलों में बड़ी धूम मचती है। मेले को लेकर घर-घर में हर्ष-उल्लास होता है। छोटे-छोटे बच्चे नए-नए कपड़े पहनकर अपने माता-पिता के साथ मेला देखने जाते है यह मेले का पर्व काफी पुराना है ऐसा माना जाता है कि पुराने समय में लोग एक दूसरे से मिलने के लिए ऐसे मेले का आयोजन किया करते थे। क्यांेकि पुराने समय में लोग काफी दूर-दूर रहा करते थे तो अपने सगे सम्बन्धियों से मिलने के लिए ऐसा किया जाता था। वास्तव में हकीकत क्या होगी यह तो पता नहंीं पर जितना मुझे ज्ञान है इसके बारें वह सबकुछ यहां पर वर्णन कर रहा हूँं।
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