बचपन की जिज्ञासा
बचपन में हमारी बहुत सी जिज्ञासाएं होती है
कि हम बड़े होकर ऐसे करेगें बड़े होकर वैसे करेगें। पर सब उम्र के साथ धरी की धरी रह
जाती है।
इतना प्रेशर होता है कि एक व्यक्ति मजबूर हो
जाता है एक गलत कदम उठाने के लिए। आज के समय के देखे तो हर घर में एक ही समस्या है
मानसिक मनमुटाव। कोई भी व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए तैयार नहीं है कारण है
स्वार्थ उसका उससे स्वार्थ पूरा नहीं हो रहा है।
उसे पैसे नहीं मिल रहंे है। कर्म की कोख में
जो पहला विचार पलता है वह यही है कि किसी भी तरह से पैसे मिल जाएं। ये तो था एक
व्यक्ति विशेष के साथ कार्य करने पर अनुभूति।
दूसरा एक औरत के साथ काम करने पर यह अनुभूति
होती ही नहीं वहां दूसरा ही विचार कार्य करता है वह है शारीरिक संबंध बस इसके साथ
यह हो जाए तो मैं पैसे लूंगा नहीं बल्कि इसे दे ही दूंगा। इस तरह की भावनाएं कार्य
करती है। पर भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि भावनाओं पर कंन्ट्रोल करों।
इन्हें अवारा ना छोड़ों। इन्हें नियन्त्रण की रस्सी से बांधकर रखों। अगर हमारा इन
पर काबू ना रहा तो ना तो धर्म रहेगा। और ना ही कोई किसी पर विश्वास करेगा।
हर रात होती है बैचेनी
प्रत्येक रात जब हम अपने बिस्तर पर होते है
तो एक अजीब सी बैचेन होती है हमने वह कार्य क्यों नही किया या जो हमने कार्य सोचा
था उस पर हमारा ध्यान क्यों नहीं गया। ये ही बातेें जब हमारे ध्यान में आती है तो
हम बैचेन हो जाते है इतने बैचेन हो जाते है कि जिसकी कोई हद नहीं है।
ध्यान के कई तरीके हैं और सबसे बेहतरीन उपाय
का चयन व्यक्ति की आवश्यकताओं, पसंद और परिस्थिति पर
निर्भर करता है। कुछ लोकप्रिय और प्रभावी ध्यान के उपाय इस प्रकार हैं:
1. सांस पर ध्यान केंद्रित करना (Breath
Awareness Meditation)
आरामदायक स्थिति में बैठें।
अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें,
सांस अंदर लेने और बाहर छोड़ने की प्रक्रिया को महसूस करें।
विचार आएं तो उन्हें बिना जजमेंट के जाने
दें और वापस अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें।
2. मंत्र ध्यान (Mantra
Meditation)
एक शब्द या वाक्य चुनें जो आपको शांत करता
हो (जैसे "ओम", "शांति" आदि)।
इसे लगातार दोहराएं,
मन में या धीरे से बोलते हुए।
इस प्रक्रिया में आपका ध्यान मंत्र पर रहेगा
और अन्य विचारों को दूर करेगा।
3. निर्देशित ध्यान (Guided
Meditation)
निर्देशित ध्यान की रिकॉर्डिंग का उपयोग
करें।
इसमें एक गाइड आपको ध्यान की प्रक्रिया के
माध्यम से निर्देशित करेगा, जो आपके ध्यान को आसान बना
सकता है।
4. विज़ुअलाइज़ेशन (Visualization)
अपनी आंखें बंद करें और एक शांतिपूर्ण स्थान
की कल्पना करें, जैसे कि समुद्र का किनारा, एक सुंदर बगीचा आदि।
इस स्थान की सभी विवरणों की कल्पना करें -
रंग,
आवाज़ें, खुशबू आदि।
5. बॉडी स्कैन ध्यान (Body
Scan Meditation)
लेट जाएं और अपनी आंखें बंद करें।
अपने शरीर के प्रत्येक भाग पर ध्यान केंद्रित
करें,
सिर से शुरू करके पैरों तक।
प्रत्येक भाग को महसूस करें और उसे आराम
दें।
6. चलते हुए ध्यान (Walking
Meditation)
धीरे-धीरे चलें और प्रत्येक कदम पर ध्यान
केंद्रित करें।
अपने शरीर की गति और जमीन के संपर्क को
महसूस करें।
7. प्राकृतिक ध्यान (Nature
Meditation)
प्रकृति में जाएं और अपने आस-पास के
प्राकृतिक तत्वों पर ध्यान केंद्रित करें।
पक्षियों की आवाज़ें,
हवा की सनसनाहट, पेड़ों की सरसराहट आदि को
महसूस करें।
आप इन विभिन्न तरीकों को आज़माकर देख सकते
हैं और जो भी आपके लिए सबसे अधिक प्रभावी हो, उसे नियमित
रूप से अपनाएं। ध्यान का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि आप इसे नियमित रूप से करें
और इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं।
अपने से सारी उम्मींदे तोड़ देना
अपने से सारी उम्मीदें तोड़ने का मतलब जीवन
में अपने आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को नुकसान पहुंचाना हो सकता है। यह महत्वपूर्ण
है कि हम खुद से कुछ स्वस्थ और यथार्थवादी उम्मीदें रखें क्योंकि यह हमें प्रेरित
और उत्साही बनाए रखता है। लेकिन अगर आप अत्यधिक दबाव या निराशा महसूस कर रहे हैं,
तो कुछ सुझाव हैं जो मदद कर सकते हैं:
1. स्वास्थ्यकर उम्मीदें और लक्ष्यों को सेट
करें
छोटे और यथार्थवादी लक्ष्यों को सेट करें
जिन्हें आप आसानी से प्राप्त कर सकें।
अपने प्रयासों को पहचानें और सराहें,
भले ही वे छोटे हों।
2. स्वीकृति और आत्म-सहानुभूति
खुद को स्वीकार करें और अपने लिए सहानुभूति
रखें।
यह समझें कि सभी लोग कभी-कभी असफल होते हैं
और यह ठीक है।
3. ध्यान और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल
नियमित ध्यान और योग का अभ्यास करें जिससे
आपका मानसिक संतुलन बना रहे।
मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श लें अगर
आपको इसकी आवश्यकता महसूस हो।
4. सकारात्मक आत्म-चर्चा (Positive
Self-Talk)
अपनी सोच को सकारात्मक बनाए रखें।
नकारात्मक विचारों को पहचानें और उन्हें
सकारात्मक दृष्टिकोण से बदलें।
5. समर्थन प्रणाली (Support
System)
अपने दोस्तों, परिवार
और प्रियजनों से समर्थन प्राप्त करें।
उनके साथ अपनी भावनाएं साझा करें और उनकी
मदद स्वीकार करें।
6. ध्यान और प्रतिबिंब (Meditation
and Reflection)
ध्यान के माध्यम से आत्मनिरीक्षण करें और
अपने विचारों और भावनाओं को समझें।
अपने जीवन के सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान
केंद्रित करें।
7. स्वास्थ्यकर जीवनशैली (Healthy
Lifestyle)
नियमित व्यायाम करें,
संतुलित आहार लें और पर्याप्त नींद लें।
अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें जिससे
मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा।
8. अवकाश और आत्म-देखभाल (Leisure
and Self-Care)
अपनी पसंदीदा गतिविधियों में समय बिताएं जो
आपको खुशी और आराम देती हैं।
आत्म-देखभाल के लिए समय निकालें और खुद को
आराम दें।
अपने से सारी उम्मीदें तोड़ने की बजाय,
अपने जीवन में संतुलन बनाना और अपनी खुशियों और मानसिक स्वास्थ्य पर
ध्यान देना अधिक महत्वपूर्ण है। अपने आप को समय दें और धैर्य रखें, आप मजबूत और अधिक सक्षम महसूस करेंगे।
अपना ईश्वरी तत्व खत्म हो जाना।
"ईश्वरी तत्व" से तात्पर्य है
हमारी आंतरिक शक्ति, आत्मविश्वास और जीवन में
कुछ उच्चतम उद्देश्य के प्रति आस्था। जब हम इस तत्व को खोने का अनुभव करते हैं,
तो जीवन निरर्थक या बेकार सा लग सकता है। अगर आपको ऐसा महसूस हो रहा
है, तो यह कुछ कदम उठाने का समय है जिससे आप अपनी आंतरिक
शक्ति और जीवन के प्रति आस्था को पुनः प्राप्त कर सकें।
1. आत्मनिरीक्षण और स्वीकृति
अपने वर्तमान भावनाओं को स्वीकार करें। यह
समझना महत्वपूर्ण है कि हर किसी के जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं।
आत्मनिरीक्षण करें और यह जानने की कोशिश
करें कि किस वजह से आप अपने ईश्वरी तत्व को खोने का अनुभव कर रहे हैं।
2. आध्यात्मिक अभ्यास
ध्यान, प्रार्थना,
या योग जैसी आध्यात्मिक गतिविधियों में शामिल हों। ये अभ्यास आपको
आंतरिक शांति और संतुलन प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।
नियमित रूप से किसी मंदिर,
चर्च, मस्जिद, या अन्य
धार्मिक स्थल पर जाएं, अगर यह आपको सांत्वना और आस्था देता
हो।
3. प्राकृतिक संपर्क
प्रकृति में समय बिताएं। जंगल,
समुद्र, पहाड़ या किसी भी प्राकृतिक स्थल पर
जाने से मन को शांति मिलती है और जीवन के प्रति नई दृष्टि मिलती है।
अपने आस-पास की प्रकृति के साथ जुड़ें और
उसकी सुंदरता का अनुभव करें।
4. समर्थन और सामुदायिक सहभागिता
अपने प्रियजनों,
दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं। उनके साथ खुलकर बात करें और
अपनी भावनाओं को साझा करें।
सामुदायिक गतिविधियों या सेवा कार्यों में
भाग लें। दूसरों की मदद करने से आपको अपने जीवन में नया उद्देश्य मिल सकता है।
5. पढ़ाई और ज्ञान
प्रेरणादायक पुस्तकें पढ़ें या आध्यात्मिक
ग्रंथों का अध्ययन करें।
किसी आध्यात्मिक गुरु या शिक्षक के साथ
जुड़ें और उनकी शिक्षाओं का पालन करें।
6. कला और रचनात्मकता
कला, संगीत,
लेखन या किसी भी रचनात्मक गतिविधि में शामिल हों। यह आपको अपने
आंतरिक विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने में मदद कर सकता है।
अपनी रचनात्मकता के माध्यम से खुद को व्यक्त
करें और इससे मिलने वाली खुशी का अनुभव करें।
7. स्वास्थ्य और भौतिक देखभाल
शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। नियमित
व्यायाम,
सही आहार और पर्याप्त नींद लें।
स्वस्थ शरीर एक स्वस्थ मन का आधार होता है।
8. पेशेवर मदद
यदि आपको लगता है कि आप अकेले इस स्थिति से
नहीं निपट सकते, तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से
परामर्श लें।
थेरेपी और काउंसलिंग आपकी स्थिति को समझने
और उसे सुधारने में मदद कर सकते हैं।
अपने ईश्वरी तत्व को खोने का अनुभव एक गंभीर
स्थिति हो सकती है, लेकिन सही कदम उठाकर आप
अपनी आस्था और आंतरिक शक्ति को पुनः प्राप्त कर सकते हैं। धैर्य रखें और अपनी
स्थिति को सुधारने के लिए लगातार प्रयास करें।
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