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अपने फ्रिज की कहानी


 नमस्कार दोस्तों!

 आज मैं आपको बहुत ज्यादा ज्ञानवर्द्धक बात बताने जा रहा हूँ।

बात गांव पिलखनी की है। पिलखनी गांव उत्तरप्रदेश के जिला सहारनपुर के गांव पिलखनी जो पीजीआई के पास है। 

अब आपको बताता हँू वो बात आज आपको भी लगेगा कि हाँ आज इतना कलयुग आ गया है कि अपने सगे भाई पर भी विश्वास नहीं रहा। 

Hello Friends!

 Today I am going to tell you something very informative.

It is about village Pilkhani. Pilkhani village Pilkhani village of Saharanpur district of Uttar Pradesh which is near PGI.

Now let me tell you that today you will also feel that yes, today Kalyug has come to such an extent that you no longer have faith even in your own brother.

ये किस्सा आपको बढे़ ध्यान से पढ़ना।

बात यू शुरू होती है कि गांव पिलखनी में दो औरते रहती है। एक जो मेरी माँ है और मेरी माँ के गांव की ही एक औरत और इसी गांव में रहती है।

माता तो मेरी गुजर चुकी है। जो औरत मेरी माता के गांव की है। वह मेरे पिता को फूफा और मेरी माँ को बुआ कहती है। अब इस हिसाब से वह औरत हमारी बहन हुई। उसका अच्छा आना-जाना था हमारें घर।

You should read this story very carefully.

The conversation starts like this: Two women live in the village of Pilkhani. One who is my mother and a woman from my mother's village and lives in the same village.

My mother has passed away. The woman who is from my mother's village. She calls my father uncle and my mother aunty. Now according to this, that woman is our sister. He used to visit our house well.

कभी-कभी घंटों बैठकर सुख-दुख की बातें शेयर करती थी।

कभी-कभी घंटों बैठकर सुख-दुख की बातें शेयर करती थी।

बहुत दिनों से आना-जाना ये मानों कि अब मैं 35 साल का हो चुका हूँ और हम उसके सामने ही पैदा हुए है। तो उसकी जान पहचान आप समझ सकते है कि कितनी पुरानी है। और फिर उनकी शादी हुई होगी। यानि मेरी माता के गांव की है तो वहंा भी कुछ पहचान रही होगी।

Sometimes she would sit for hours and share stories of happiness and sorrow.

Coming and going for a long time, it is as if I am now 35 years old and I was born in front of him. So you can understand how old his acquaintanceship is. And then they would have got married. That means she is from my mother's village, so she must be recognizing something there too.

चलों ये तो पहचान की बात। अब आपको बताता हूँ आगे उसके लड़के का एक बार एक्सिडंेट हो गया था। एक पैर की हड्डी पूरी टूट चुकी थी।

और हमारें घर में वह 2 साल के करीब रही थी।

उससे हमने कोई किराया नहीं लिया।

कोई बिजली का बिल नहीं लिया। इसके अलावा हमने उसकी मदद ही की।

आज मेरी माता हमारे साथ नहीं है मेरी  भी शादी हो चुकी है।

दो बच्चे हो गए है। 

उसके लड़कों की भी शादी हो चुकी है उसके दो लड़के है। 

वह बड़े लड़के में रहती है। 

Well, this is a matter of identity. Now let me tell you further that her son once had an accident. The bone of one leg was completely broken.

And she lived in our house for about 2 years.

We did not take any rent from him.

No electricity bill was taken. Apart from this we only helped him.

Today my mother is not with us, I too am married.

Have two children.

His sons are also married and he has two sons.

She lives in the big boy.

अभी तीन-चार दिन पहले वह हमारे घर आती है। 

अभी तीन-चार दिन पहले वह हमारे घर आती है। 

बातों ही बातों में बात होती है फ्रिज की मेरी शादी का फ्रिज काफी समय से रखा हुआ था ये मानों कि 3 साल से रखा हुआ था। 

Just three-four days ago she comes to our house.

One of the common topics of conversation is the fridge. My wedding fridge was kept for a long time, as if it was kept for 3 years.

उसने मेरी पत्नी से फ्रिज लेने के लिए कहां कि यह फ्रिज में ले लूंगी। मेरी पत्नी ने उसको चेक कराया फिर वह कहने लगी कि पैसे कितने है बात 13000 रूपये में तय हो गयी। उसने दस हजार रूपये मेरी पत्नी को दिए और फ्रिज हमने उसको दे दिया। बाकी के 3 हजार रूपये बाद में देने को कहा। हमने भी दे दिया क्योंकि इतने दिनों का आना-जाना और अच्छी जान-पहचान है तो चलों भई! दे देना।

He asked my wife to take it in the fridge. My wife got the check done and then she asked how much was the money and the matter was settled at Rs.13,000. He gave ten thousand rupees to my wife and we gave her the fridge. Asked to pay the remaining Rs 3,000 later. We also gave it because we have been visiting each other for so many days and know each other well, so let's go brother! to give.

अगले ही दिन सुबह कहती है कि भाई फ्रिज चल नहीं रहा है। हमने भी सोचा शायद इतने दिन रखा हुआ था भईया गैस खत्म हो गयी होगी।

लेकिन मिस्त्री से चेक कराने के बाद पता चला कि यह तो बिल्कुल सही से कुलिंग कर रहा है। 

The very next morning she says brother the fridge is not working. We also thought that maybe it had been kept for so many days that the gas might have run out.

But after getting it checked by the mechanic, it was found that it is cooling perfectly.

चलों यह बात भी टली । 

Let's put this matter aside too.

अगली सुबह फिर उनका फोन आता है कि हमें बिल चाहिए हालाकि, हमनें फ्रिज देने से पहले यह सब बात उसको बता दी थी कि हमारें पास कोई बिल नहीं है क्योंकि जो बिल था वह मेरी माता ने रखा था और माता के गुजर जाने के बाद घर में काफी उथल-पुथल होने के कारण काफी सामान हमारा ऐसे ही गुम हो गया।

The next morning we get a call from him again saying that we need a bill, however, before giving the fridge, we had told him that we do not have any bill because the bill was kept by my mother and after her death, it was at home. Due to a lot of turmoil in India, many of our belongings got lost.

तो बिल की बात हमने उसको अच्छी तरह बतायी थी। उस औरत का नाम रोशन है। सभी उसे रोशन के नाम से जानते है। पर हमने कहा देखो रोशन हमारी आपकी इतने दिनों की जान-पहचान है तो आप बिल के पैसे काटकर यानि आप हमें 4700 रूपये कम करके दे देना। इतना घाटा होने के बाद भी हम चुप रहें हमने कहा चलों बहना आप जो देगी हम खुशी-खुशी रख लेगे।

So we told him clearly about the bill. That woman's name is Roshan. Everyone knows him by the name of Roshan. But we said, look, Roshan, we have known you for so many days, so please give us Rs. 4700. less after deducting the money from the bill. We should remain silent even after facing so much loss. We said come on sister, we will happily take whatever you give us.

पर अगली सुबह उनका फोन आता है कि अरे ये तो हमें मंहगा दे दिया । हम तो इसे वापस करेगंे। हमने कहां जैसा आप मुनासिब समझों घर की ही बात है कोई बात नहीं आप इसे हमारे घर पहुँचा देना।

But the next morning they call and say, hey, this cost us dearly. We will return it. We said, as per your convenience, it is a matter of the house, no problem, you can deliver it to our house.

अगली सुबह फोन आता है यह तो खराब है हमने मिस्त्री को दिखाया था । अब आप हमें रोज फोन कर रही हो रोशन ये क्या मतलब है जब आपको लेना नहीं है तो आप हमें इस तरह से पेरशान क्यों कर रही हो। 

नहंी लेना तो भई आप मिस्त्री को दिखाने का तो सवाल ही नहीं है आप हमारी चीज को ज्यो का त्यो रख दो अपने पैसे वापस ले लो। और क्यों आगे बात बढ़ा रही हो। 

Next morning the call comes that it is bad, we had shown it to the mechanic. Now you are calling us everyday Roshan, what does this mean, when you don't have to call us then why are you troubling us like this.

If you don't want to take it then there is no question of showing it to the mechanic. You keep our thing as it is and take your money back. And why are you taking the matter further?

रोशन कहती है नही भाई यह फ्रिज हमें देेंगें तो नही पर आप पैसे कुछ ज्यादा ही बता रहें हो।

अब चार-पंाच दिन के बाद वह पैसे कहती है कि ज्यादा है जब ले गई थी जब देखा था जब पैसे ज्यादा नहीं थे।

हम लोगों को ऐसे बेवकूफ बना रही है जैसे की हम कुछ जानते ही नहीं हो ।

बात बात पर बदलना यह सब एक बेईमान के लक्षण होते है। केवल तीन हजार रूपये के लिए उसने इतनी पुरानी रिश्तेदारी पर लात मार दी।

Roshan says no brother, will you give us this fridge but you are asking too much money.

Now after four-five days she says that the money was more when she took it and when she saw that the money was not much.

She is fooling us as if we don't know anything.

Changing things every now and then are signs of a dishonest person. For only three thousand rupees he kicked such an old relationship.


यानि हम उस रिश्तेदारी की कदर करके इतना घाटा सहा और एक औरत केवल तीन हजार रूपये के लिए हमें अपना रूप दिखा रही है। 

That is, we respected that kinship and suffered such a loss and a woman is showing us her beauty for only three thousand rupees.

देखा दोस्तों पैसे के लिए कैसे बदल जाती है दुनिया।

मुझे भी बड़ी हैरानी हुई ऐसी समझदारी की बातें करने वाली रोशन आज केवल तीन हजार रूपये के लिए बेईमान हो गयी।

हमने उससे कहा कि हम आज के बाद आपके यहां नही आयेगें अगर आप खुशी से कह देते तो हम आपसे एक रूपया भी न लेते लेकिन नये फ्रिज को आपने खराब बता दिया और पूरे पैसे भी नहीं दे रहें हो। 

हम लोग भी कह कर चलें आए कि आप ही रखों हम आपसे एक भी पैसा नही ंलेगे। 

See friends, how the world changes for money.

I was also very surprised that Roshan, who used to talk such wise things, became dishonest today just for three thousand rupees.

We told him that we will not come to your place after today, if you had happily said so, we would not have taken even a single rupee from you, but you have declared the new fridge to be bad and are not even paying the full amount.

We also came saying that you keep it only, we will not take even a single penny from you.

आप खुश रहों।

May you be happy.

इतना कह देने के बाद हम अपने घर आ गए।

लेकिन उसने एक बार भी रोका नहीं कुछ नहीं कहां।

तो दोस्तों इस किस्से में आपको कुछ गलत लगा हो मेरे बारें तो जरूर लिखना आखिर हमने क्या गलती की जिसके कारण उसने हमारे रूके हुए पैसे नहीं दिए।

इतने पुराने रिश्तेदारी भी खराब हो गई। 

दोस्तों इसके बारें में अपनी राय जरूर देंना ।

May you be happy.

After saying this we came to our home.

But he did not stop even once, said nothing.

So friends, if you find something wrong in this story then please write about me, what mistake did we make due to which he did not give us the pending money.

Such old relationships also got spoiled.

Friends, please give your opinion about this.

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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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