गणितीय प्लेटोनिज़्म और यथार्थवाद (Realism) गणित के दर्शन के
महत्वपूर्ण दृष्टिकोण हैं, जो
गणितीय संस्थाओं (mathematical entities) और
उनके अस्तित्व के बारे में विभिन्न विचार प्रस्तुत करते हैं। इनकी तुलना अन्य
दर्शनिक दृष्टिकोणों—जैसे फॉर्मलिज़्म,
अंतर्ज्ञानवाद (Intuitionism),
और लॉजिकिज़्म—से करते हुए इनके अंतर को समझा जा सकता है।
·
1. गणितीय
प्लेटोनिज़्म (Mathematical Platonism):
- प्लेटोनिज़्म का यह विचार है कि गणितीय संस्थाएँ (जैसे
संख्या, समुच्चय, त्रिकोण)
स्वतंत्र और वस्तुगत रूप से अस्तित्व में हैं,
भले ही हम उन्हें खोजें या न
खोजें।
- ये संस्थाएँ भौतिक दुनिया से परे हैं और समय व स्थान से
परे "आदर्श" रूप में मौजूद हैं।
- उदाहरण: संख्या
222 केवल
एक प्रतीक नहीं है, बल्कि
एक वास्तविक गणितीय इकाई है जो हमारे दिमाग से स्वतंत्र है।
विशेषताएँ:
- गणितीय सत्य खोजे जाते हैं,
न कि बनाए जाते।
- यह विचार प्लेटो के "आदर्श रूप" (Ideal Forms) के
सिद्धांत से प्रेरित है।
·
2. गणितीय
यथार्थवाद (Realism):
- यथार्थवाद प्लेटोनिज़्म से मिलता-जुलता है, लेकिन इसका जोर
गणितीय सत्य की वस्तुगतता (objectivity)
पर है।
- यह जरूरी नहीं मानता कि गणितीय संस्थाएँ प्लेटोनिक
"आदर्श दुनिया" में रहती हैं,
लेकिन यह मानता है कि उनके बारे
में कथन सत्य या असत्य हो सकते हैं,
भले ही वे हमारी भाषा या मनोस्थिति
पर निर्भर न हों।
·
3. फॉर्मलिज़्म
(Formalism):
- फॉर्मलिज़्म के अनुसार गणितीय संस्थाएँ वास्तविक अस्तित्व
नहीं रखतीं; वे
केवल प्रतीकों (symbols) और
नियमों (rules) के
माध्यम से परिभाषित औपचारिक प्रणालियाँ (formal
systems) हैं।
- गणित का अध्ययन नियमों के तहत "खेल" (game) की तरह है, जहाँ परिणाम
केवल नियमों के अनुरूप ही प्राप्त होते हैं।
- उदाहरण: गणित में
1+1=21 + 1 = 21+1=2 का अर्थ केवल प्रतीकों और परिभाषाओं का अनुपालन है, न कि किसी
"वास्तविक" सत्य की अभिव्यक्ति।
समस्या:
- यह दर्शन "गणित क्यों उपयोगी है?" का संतोषजनक
उत्तर नहीं देता।
·
4. अंतर्ज्ञानवाद
(Intuitionism):
- अंतर्ज्ञानवाद का मानना है कि गणितीय संस्थाएँ मानव मन की
रचनाएँ हैं।
- गणितीय सत्य केवल तब मान्य होता है जब उसे स्पष्ट रूप से
"निर्मित" या "दर्शाया" जा सकता है।
- उदाहरण: अनंत (infinity)
का अस्तित्व केवल तभी मायने रखता
है जब हम इसे गणना या निर्माण के माध्यम से दिखा सकें।
विशेषताएँ:
- गणितीय सत्य सार्वभौमिक नहीं, बल्कि मानव
अंतर्ज्ञान पर आधारित है।
- क्लासिकल गणित के कुछ सिद्धांत (जैसे कानून-तृतीय-अवश्यता, Law of the Excluded Middle) को
यह स्वीकार नहीं करता।
·
5. लॉजिकिज़्म
(Logicism):
- लॉजिकिज़्म का विचार है कि गणितीय सत्य तार्किक (logical) सत्य हैं और
इन्हें तर्क के मूल नियमों से व्युत्पन्न किया जा सकता है।
- उदाहरण: प्राकृतिक संख्याएँ और उनके गुण तार्किक संरचनाओं
(logical structures) से निकाले जा सकते हैं।
उदाहरण: बर्ट्रांड रसेल और अल्फ्रेड नॉर्थ
व्हाइटहेड ने अपनी पुस्तक
Principia Mathematica में गणित को तर्क पर आधारित बनाने की
कोशिश की।
·
तुलना:
दर्शन |
संस्थान
का अस्तित्व |
गणितीय
सत्य का स्रोत |
भौतिक
दुनिया से संबंध |
प्लेटोनिज़्म |
स्वतंत्र और वस्तुगत |
खोजे जाते |
अलग, भौतिक
से परे |
यथार्थवाद |
वस्तुगत |
सत्य/असत्य पर आधारित |
संदर्भ पर निर्भर नहीं |
फॉर्मलिज़्म |
प्रतीकों और नियमों में सीमित |
औपचारिक संरचना |
कोई भौतिक या आदर्श अस्तित्व नहीं |
अंतर्ज्ञानवाद |
मनुष्यों द्वारा निर्मित |
मानसिक निर्माण पर आधारित |
अंतर्ज्ञान पर निर्भर |
लॉजिकिज़्म |
तार्किक संरचना |
तर्क के नियमों पर आधारित |
तर्क का विस्तार |
·
मेरी राय:
- प्लेटोनिज़्म:
यह दर्शन प्रेरणादायक है और गणित
के स्थायित्व और सार्वभौमिकता को समझाने में सहायक है। लेकिन इसका
"आदर्श दुनिया" का विचार अमूर्त लगता है।
- फॉर्मलिज़्म:
गणित को व्यावहारिक तौर पर समझने
का उपयोगी तरीका है, लेकिन
यह गणित की उपयोगिता और सौंदर्य को कम करके देखता है।
- अंतर्ज्ञानवाद:
गणितीय रचनात्मकता और मानव मन के
योगदान को उजागर करता है, लेकिन इसके कारण गणित का दायरा सीमित हो सकता है।
- लॉजिकिज़्म:
तार्किक आधार को मजबूत करता है, लेकिन सभी
गणितीय विचारों को तर्क में समेटना कठिन है।
- यथार्थवाद:
यह एक संतुलित दृष्टिकोण है, जो प्लेटोनिज़्म
की कुछ चुनौतियों को हल करता है।
0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for sending message