आज के युग में एक गरीब की क्या दशा होती है।
आज के युग में एक गरीब की क्या दशा होती है।
आज दिनांक 19.11.2023 दिन रविवार
आज दोस्तों में आपको अपने काम के बारें में बताता हूॅ। मैं सहारनपुर में एक सर्विस स्टेशन में काम करता हूॅ। वैसे मैनंे एम.ए. अंग्रेजी से किया हुआ है। सरकारी नौकरी के लिए तैयारी में कम से कम दस साल कर रहा हूॅ। लेकिन कुछ घर में परेशानी की वजह से लगातार अपनी तैयारी नहीं कर पा रहा हूॅ। पहले मेरे पिताजी एक्सपायर हो गए एक रेलवे दुर्घटना में फिर मेरे बाबा चल बसें। अभी कुछ ही दिन गुजरे थे कि मेरी बुआ चल बसी। बुआ की लड़की की शादी भी नजदीक है। बुआ ने अपने जीते जी अपनी लड़की का रिश्ता तय कर दिया था। सो जो हो गया तो हो गया लेकिन शादी भी करनी जरूरी है। मां की तबीयत एक हफ्ते से खराब है । और सहारनपुर में डॉ विजय अग्रवाल मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ के यहां भर्ती है।
हालत काफी खराब है इतनी खराब है कि एक लाश की तरह बिस्तर पर पड़ी है, नली के द्वारा भोजन दिया जा रहा है। कोई भी रिश्तेदार देखने भी नहीं आता और ना ही फोन करता है। दोस्तों आज का जमाना इतना खराब है कि एक गरीब व्यक्ति को बीमारी तो होती ही है जीना भी बहुत मुश्किल हो गया है।
पैसे की कमी एक गरीब को ही पता है।
मैं तो कहता हूॅ कि पैसे की कमी किसी को ना हो वो भी जब वह किसी बीमारी या ऐसी स्थिति से गुजरे जब उसे बहुत पैसे की जरूरत महसूस होती हो और ज्यादा जरूरत बीमारी या बेटी की शादी करनी हो। पर आदमी इतना मजबूर हो जाता है कि कुछ कर नहीं पाता है। सभी सरकारी सुविधा या किसी लोन का लाभ केवल पैसे वाले ही उठा सकते है। यहां तक एक गरीब व्यक्ति पहुंच ही नहीं पाता है। उसे बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर वह लोन लेने जाएगा तो उससे कागजी कार्यवाही इतनी करवाही जाएगी कि उसकी उम्र पूरी हो जाएगी। लोन दे भी दिया तो उसको अगर किसी वजह से नहीं चुका पाया तो उसके घर की कुर्की सरकारी पिल्हों द्वारा करा दी जाती है। बस गरीब बेचारा ताउम्र अपना सर पिटते-पिटते मर जाता है।
एक गरीब बच्चे की पढ़ाई कैसे होती है।
एक गरीब बच्चे का पढ़ने के लिए बहुत पेरशानियों का सामना करना पड़ता है कही जातिवाद का सामना करना पड़ता है तो कही ऊंच-नीच का सामना करना पड़ता है तो कही बाप के गरीब होने का सामना करना पड़ता है तो कही बहु-बेटियों के अपमान का जहरीला घंूट पीना पड़ता है। यही नहीं एक घर से निकलने के बाद एक गरीब को गरीबी का ही नहीं पता नहीं क्या-क्या सहना पड़ता है।
पढ़ाई की अगर बात हो तो पढ़ाई तो जैसे तैसे कर भी लें लेकिन ये समाज के लोग उसे जीने ही नहंी देते।
एक गरीब व्यक्ति के लिए सरकारी योजना
सरकार कितनी भी कोशिश कर लें कि मैं गरीब जनता के लिए कुछ कर रही हूॅ लेकिन ये योजनाएं एक गरीब व्यक्ति तक पहुचना उतना ही मुश्किल होता है जितना कि एक भगवान पर विश्वास करना । क्योंकि जब तक हम भगवान देख न लें तब तक हम किसी पर विश्वास नहीं कर सकते है।
उसी प्रकार ये जो सरकार के दलाल बैठें है इनकी जो व्यक्ति जेबे गर्म करता है वहीं सरकारी योजनाओं का लाभ उठा पाता है। अब जाहिर सी बात है कि एक गरीब व्यक्ति तो ऐसा नहंी कर सकता है।
भ्रष्टाचार क्या है ये भ्रष्टाचार
हर सरकार और समझदार व पढ़ा-लिखा व्यक्ति भ्रष्टाचार को दूर करने की बात करता है और सरकार भी अपनी कुर्सी पाने से पहले बहुत बड़ी-बड़ी बातें करती है कि हम भ्रष्टाचार को खत्म कर देगें। पर फिर भी भ्रष्टाचार खत्म ही नहीं होता है लंबे-लंबे भाषण होते है घंटों-घंटों भर इस पर चर्चा की जाती है अब बात करते है आखिर भ्रष्टाचार है क्या!
अब मान लीजिए एक ऑफिस में जॉब निकली है और ऑफिस में वह मालिक जो जॉब दे रहा है या उसे किसी काम करने वाले की जरूरत है वह आपके जानने वाला है या रिश्तेदार भी हो सकता है और भी अच्छा है। अब आपको जॉब चाहिए आपकी एजुकेशन भी उस पोस्ट के लायक नहीं है और दूसरे वह व्यक्ति जो उस लाइन में खड़ें है अपनी काबिलियत के बल पर।
अब देंखिए जीत किसकी होती है।
क्योकि वह आपके जानने वाला है या आपका कोई खास रिश्तेदार है तो उसका फोकस रहेगा कि यह जॉब हमारे किसी जानने वाले को मिल जाए तो बढ़िया है अगर आपको थोड़ा बहुत भी आता है और आप जॉब के लिए तैयार है तो आपको जॉब मिल जाएगी।
अब काबिलियत पीछे रह जाती है। वास्तव में दूसरों लोगों को मौका न देना ही भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।
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