दिमाग मे सूजन थी पहले से ही यह शिकायत कई बार हो चुकी थी।



आजकल बुखार आने पर

आजकल बुखार आने पर

आजकल बुखार आने पर

आज दिनाक 18-11-2023 दिन शनिवार दोपहर के 12:37 pm


लगभग एक सप्ताह से मेरी माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं था बात क्या हुई शुरूआत से लेकर चलते है मेरी माता सुबह -सुबह दूध लेने जाती थी टाइम सुबह के 6 बजे के आस पास गांव में दूध दूधवालों के यहां से लाते है जो गाय भैस पालते है। अचानक ठंड लग गई। ठंड लगने के बाद बुखार आ गया। बुखार लगभग एक महीना ही हो गया चलता रहा । बुखार नार्मल था। बाद में रिपोर्ट भी कराई। बुखार की दवा चलती रही बुखार ठीक भी हो गया अब होता क्या है बुखार तो बिल्कुल ठीक हो गया। पर दिमाग मे सूजन थी पहले से ही यह शिकायत कई बार हो चुकी थी। तो इसलिए दिमाग की सूजन की वजह से हालत बहुत ज्यादा खराब हो गयी। अब हमारे शहर सहारनपुर मंे डॉक्टर है डॉ ऐजाज मुस्लमान है। इनके यहंा से लगभग 02 सालों से ईलाज चल रहा था। अपनी माता को हम डॉ ऐजाज के यहां लेते आए। अब मेरी बात को आप नोट करना कि एक डाक्टर है और हमारा ईलाज लगातार इसी डाक्टर के यहां चल रहा है लेकिन अचानक तबीयत खराब हो गयी तो अब डाक्टर अमरजेंसी में देखता है अमरजेंसी फिस कितनी है 1000 रू जो कि पहले जमा किए जाते है।


चलों अब देखिए डाक्टर के यहां लगातार ईलाज चल रहा है डाक्टर को अपने मरीज के बारें में सब पता होता है पर्चे पर बकायदा सब कुछ लिखा होने के बावजूद फिर से उसकी सारी जांच कराई जाती है। चलों मान लेते है ठीक है पर हमने अगर पहले से जांच किसी ओर जगह करा ली पर जो रिपोर्ट हमनें बाहर कराई है उसे देखकर डॉक्टर कहता है कि भाई डाक्टर आप है कि मैं सब बात यहीं पर खत्म हो जाती है। इतना कह देने भर से मतलब कि अगर आपको मेरे यहां ईलाज कराना है तो मेरे तौर-तरीके से चलना पड़ेगा नहीं तो चलते बनो।


अब मरीज करें तो करें क्या बेचारा। उसें रिपोर्ट करानें के नाम पर ठगा जाता है। उसका बेशकीमती वक्त बरबाद किया जाता है। इतना रिपोर्ट आती है मरीज की तबीयत इतनी बिगड़ जाती है कि मरीज जाए तो जाए कहां।

ये हमारे सहारनपुर की बात नहीं है सारें कहीं आप जाइए ऐसा ही होता है कोई भला डॉक्टर होगा जो कहता होगा कि चलों आप अपनी पिछली रिपोर्ट ही दिखा दीजिए मैं इलाज शुरू कर देता हूॅ।


अब चलिए आते है अपने विपय पर आते है। रिपोर्ट बार-बार कराई जाती पर रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर कहता है कि दिमाग में सूजन है मरीज कहता है कि चलों ठीक है सूजन है पर ये तो बता दो डॉक्टर साहब ठीक होने में कितना टाईम लग जाएगा। डाक्टर कहता है कि देखते है पहले दवाई खाओं फिर बताते है। एक हफ्ते की दवाई लिख दी जाती है फिर कहा जाता है चलों एक महीना तो दवाई खाओं फिर देखते है कि रिजल्ट क्या आता है।


जो कोई भी दोस्त मेरा यह आर्टिकल पढ़ रहा होगा भविष्य में शायद में रहूॅं या न रहूॅ पर दोस्तों ये घटना मेरे जीवन का एक सच्चा किस्सा है जीता जागता। डॉक्टर आजकल किस तरह लोेगों को लूट रहें है।

ईलाज क्या करना है कुछ पता नहीं है, क्या दवाई देनी है इसके बारें में भी कोई जानकारी नहीं है। पहले रिपोर्ट आएगी फिर कहीं जाकर दवाई लिखी जाएगी फिर लाईन में खड़ा होना पडे़गा फिर कहीं जाकर नंबर आएगा। फिर भी अगर उनके स्टोर वाले लड़के को दवाई समझ आ गई तो बता देगा नहंीं भगवान मालिक है। हमारे मरीज का और यहां ईलाज देने वाले डॉक्टरों का।

डॉक्टर साहब का पता तो जान लों

नाम डॉक्टर ऐजाज मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ लिंक रोड़ रोड़ सहारनपुर उत्तर प्रदेश 247001
नाम फोन पर लिखा जाता है परामर्श देने की कोई सुविधा इनके यहां नहीं सीधा नाम लिखवाकर डॉक्टर ही बताएगां की आपको क्या करना है।


डाक्टर का लगातार लूटना जारी


पता नहीं डॉक्टर को ईलाज करना आता है कि नहीं बस दवाई देते रहते है मरीज को पता नहीं कब तक दवाई खानी है मरीज बैठा है डॉक्टर के सहारे क्योंकि उसे ओर कोई बेहतर ईलाज दीख नहीं रहा है। डॉक्टर को पता नहीं कौन सी दवा देनी है कब तक कितने समय तक । मरीज को थोड़ा फायदा दिखता है तो डॉक्टर भी अपना पैसा उतारता रहता है। जब तक मरीज को थोड़ा बहुत आराम है ।


अपनी मर्जी से आप कुछ नहीं कर सकते

अगर डॉक्टर को पता चल गया कि मरीज ने उसके कहें अनुसार नहीं किया दवाई का समय मिस किया या किसी कारण कुछ गेप हो गया । बस फिर क्या डॉक्टर लगा अपनी झाड़ने।
अगर डॉक्टर को लगा कि अब मेरे बस की बात नहीं है तो कह देता है मैं बिल्कुल भी ईलाज नहीं करूगां।








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