अंग्रेजी का इतिहास बताओ
अंग्रेजी भाषा का इतिहास बहुत विशाल है और विभिन्न साम्राज्यों और
सांस्कृतिक प्रभावों के कारण विकसित हुआ है। इसका इतिहास लगभग
1500 ईसवी तक जाता है।
अंग्रेजी भाषा की जन्मभूमि अंग्रेजी द्वीप (जिसे वेल्श नाम द्वारा भी जाना जाता
है) है, जो आज के दिनांक से लगभग 1500 साल पहले ब्रिटेन के उत्तरी भाग
में स्थित था। इस प्राचीन अंग्रेजी को अंगलो-सैक्सन अंग्रेजी के रूप में भी
जाना जाता है, क्योंकि यह जनसंख्या के एक प्रमुख जाति, अंगलो-सैक्सन
लोगों द्वारा बोली जाती थी।
विश्व इतिहास में क्रिस्टोफर कोलंबस के भारत जलाने के बाद, ब्रिटेनी
इम्पायर ने विश्व के अन्य क्षेत्रों के साथ व्यापार और सांस्कृतिक संपर्क
बढ़ाए। यह प्रासंगिक हुआ जबकि अंग्रेजी भाषा का विकास हुआ और इसे
व्यापार, धर्म, राजनीति, और साहित्य की भाषा के रूप में विकसित किया
गया।
15वीं और 16वीं शताब्दी में, वेल्थ नामक साम्राज्यिक शक्ति ने अंग्रेजी भाषा
के विकास को प्रभावित किया। वेल्थ के राज्यपालों ने अंग्रेजी को
आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया और इसे शिक्षा, न्यायपालिका,
और सरकारी दस्तावेजों में उपयोग किया।
इसके बाद, 16वीं शताब्दी के दौरान, उत्तरी और पश्चिमी आयरलैंड, वेल्श,
और अंग्रेजी द्वीप पर अंग्रेजी भाषा की व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ। यह उच्च-
वर्गीय लोगों द्वारा बोली जाती थी और अन्य भाषाओं से शब्द और व्याकरण
के प्रभाव को लिया गया। इस समय में अंग्रेजी भाषा का विकास बहुत तेजी
से हुआ और नए शब्दों, वाक्य निर्माण के नियमों, और व्याकरणिक नियमों
का निर्माण हुआ।
17वीं शताब्दी में, अंग्रेजी भाषा का विकास और अभिवृद्धि और अद्यतन का
दौर था। इस दौरान अंग्रेजी भाषा को विज्ञान, शास्त्र, वाणिज्य, और साहित्य
में उपयोग होने लगा।
इस युग में बहुत सारी महत्वपूर्ण रचनाएं और साहित्यिक कार्य लिखे गए,
जिनमें विलियम शेक्सपियर, जॉन मिल्टन, और जॉन डन सहित कई महान
कवि और लेखक शामिल थे। इस दौरान अंग्रेजी भाषा की व्यापकता और
महत्त्व विश्वभर में बढ़ी और यह एक वैश्विक भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त
करने लगी।
18वीं शताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप के ब्रिटिश आदेशकों के साथ अंग्रेजी
भाषा भी भारत में पहुंची। ब्रिटिश साम्राज्य के आक्रमण के साथ ही अंग्रेजी
भाषा को शिक्षा, सरकारी कार्य, न्यायपालिका, और व्यापार में आधिकारिक
भाषा के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। अंग्रेजी भाषा को अधिकांश
शिक्षा और व्यवसाय के क्षेत्रों में प्रचारित किया गया और इसका प्रभाव
भारतीय भाषाओं, संस्कृति, और साहित्य पर भी पड़ा।
20वीं सदी में अंग्रेजी भाषा को वैश्विक भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।
लेकिन 20वीं सदी में अंग्रेजी भाषा का महत्त्व और प्रभाव और उसका
विकास प्रामुख रूप से जारी रहा है। इंटरनेट, विश्वव्यापी मीडिया,
टेलीकम्युनिकेशन और व्यापार के क्षेत्र में अंग्रेजी भाषा ने एक महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई है। आधुनिक टेक्नोलॉजी और व्यापार के क्षेत्र में अंग्रेजी
भाषा का उपयोग आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अवांछित नहीं है।
विश्वभर में अंग्रेजी भाषा के व्यापक प्रचार-प्रसार के कारण, यह एक
अंतरराष्ट्रीय संचार का माध्यम बन गई है। विज्ञान, शोध, शिक्षा, और
वाणिज्य के क्षेत्र में अंग्रेजी भाषा की प्रमुख भूमिका है। अंग्रेजी के प्रभाव से
बहुत सारे देशों में उच्च शिक्षा के केंद्र विकसित हुए हैं, और यह भी मदद
करता है
अंग्रेजी के जनक कौन थे
अंग्रेजी के जनक माने जाने वाले कई लोग हैं, लेकिन अधिकांश विद्वानों के
अनुसार आदिपुरुष गौतम बुद्ध हैं। उनके जीवन काल 6वीं और 5वीं
शताब्दी ईसा पूर्व में थे। वे भारतीय धर्म के महापुरुषों में से एक थे और
अपनी बोधगया के पूर्व अनुभव के दौरान मध्यप्रदेश के लुंबिनी में जन्मे थे।
उन्होंने विवेक, बोध, और धर्म के मार्ग पर अपने शिष्यों को शिक्षा दी थी।
उनकी शिक्षाओं और धर्मदर्शन की प्रेरणा ने अंग्रेजी भाषा के विकास में
महत्वपूर्ण योगदान दिया।
यहां एक बारिकिक उल्लेख करना चाहूंगा कि अंग्रेजी भाषा के विकास में
कई अन्य प्रमुख व्यक्तियों का योगदान भी हुआ है, जैसे कि जेफरी चॉसर,
विलियम शेक्सपियर, और डॉक्टर समुएल जॉनसन।
अंग्रेजी भाषा के विकास में और उसे विश्वस्तरीय भाषा के रूप में प्रमाणित
करने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों में एक
महत्वपूर्ण नाम चॉर्ल्स डिकेंस है। वह एक प्रमुख अंग्रेजी लेखक थे जिन्होंने
अपनी उपन्यासों और कहानियों के माध्यम से समाज की समस्याओं,
व्यक्तित्व के पक्षों, और सामाजिक अन्याय के विषयों पर चर्चा की। उनकी
रचनाएं समाज की मनोरंजन और चिंता के भारी विषयों पर उजागर करने
के लिए प्रसिद्ध हुईं।
इसके अलावा, आधुनिक युग में भी कई लोग अंग्रेजी भाषा के विकास में
योगदान देते रहे हैं। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, साहित्य, मनोरंजन और सामाजिक
मीडिया क्षेत्र में अंग्रेजी भाषा अभिनव शब्दावली और नवीनतम व्याकरणीय
नियमों के साथ आगे बढ़ती रही है।
भारत मे अंग्रेजी का चलन कब से है
अंग्रेजी का चलन भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के काल से शुरू हुआ था।
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के आगमन के बाद, अंग्रेजी भाषा को उनकी
शासनाधीनता का एक प्रमुख माध्यम बनाया गया। शुरुआती रूप से,
अंग्रेजी का प्रयोग मुख्य रूप से व्यापारिक और न्यायिक क्षेत्रों में हुआ।
अंग्रेजी के चलन का अधिकारिक रूप सन् 1835 में भारतीय सरकार द्वारा
पास किए गए मैकॉले अधिनियम के बाद से प्रारंभ हुआ। इस अधिनियम के
अनुसार, अंग्रेजी भाषा को भारतीय शिक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग
बनाया गया और उसका प्रयोग शिक्षा, न्याय, और सार्वजनिक पदाधिकारियों
की भर्ती आदि में बढ़ाया गया।
इसके बाद भारतीय शिक्षा प्रणाली में अंग्रेजी भाषा का महत्व और प्रभाव
धीरे-धीरे बढ़ा। ब्रिटिश सरकार ने विद्यालयों, कालेजों और विश्वविद्यालयों के
स्थापना किए, जहां अंग्रेजी शिक्षा प्रदान की जाती थी।
अंग्रेजी भाषा को प्राथमिकता देने के फलस्वरूप, अंग्रेजी शिक्षा और उच्चतर
शिक्षा के क्षेत्र में अधिकांश विद्यार्थी और शिक्षार्थी अंग्रेजी भाषा का अध्ययन
करने लगे। व्यापार, व्यावसायिक और पेशेवर क्षेत्रों में भी अंग्रेजी की मांग
बढ़ी, क्योंकि यह एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त कर गई थी।
स्वतंत्रता संग्राम के बाद, अंग्रेजी भाषा ने अपने महत्व को और बढ़ाया,
क्योंकि भारत ने अपनी स्वतंत्रता के बाद विश्व में एक महत्वपूर्ण भूमिका
निभानी शुरू की। अंग्रेजी भाषा ने भारतीयों को विदेशी देशों के साथ संवाद
करने और विभिन्न विषयों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्ञान प्राप्त करने की
सुविधा प्रदान की।
आज, अंग्रेजी भाषा भारत की एक प्रमुख भाषा है और उसका उपयोग
व्यापार, विज्ञान, तकनीक, मनोरंजन, साहित्य, संचार, और विश्वस्तरीय
संगठनों के क्षेत्र में होता है।
भारत में अंग्रेजी के चलन का कारण एक संयुक्त राष्ट्रीयता, विविधता, और
भाषाई सहानुभूति का मिश्रण है। भारत में अनेक भाषाएं और भाषाई
संप्रदायों का समावेश होता है, जिसका परिणामस्वरूप भाषाओं के बीच
संवाद करने के लिए एक माध्यम की आवश्यकता होती है। अंग्रेजी भाषा ने
इस आवश्यकता को पूरा किया है और भाषाई सहजता का स्रोत बनी है।
भारतीय शिक्षा प्रणाली में भी अंग्रेजी को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ है।
अंग्रेजी भाषा के ज्ञान का प्राप्त करना विद्यार्थियों के लिए उनके करियर और
अवसरों के विस्तार का माध्यम बना दिया है। उच्च शिक्षा, पेशेवर पाठ्यक्रम,
और व्यापारिक क्षेत्र में अंग्रेजी भाषा का ज्ञान महत्वपूर्ण है।
साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, विद्यापीठों, और कंपनियों के माध्यम से अंग्रेजी
भाषा की शिक्षा और प्रशिक्षण की व्यापक प्रदान होती है।
अगर कंप्युटर हिन्दी मे होता तो क्या इंग्लिश की मानयता होती ?
अगर कंप्यूटर हिंदी में होता तो इसका प्रभाव भारतीय सामरिक और
प्रशासनिक क्षेत्रों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी होता। हालांकि,
इंग्लिश की मान्यता का परिणामस्वरूप में कुछ बदल सकता था, लेकिन
यह निर्भर करता कि कंप्यूटर की उपयोगिता, संचार और व्यापार क्षेत्रों में
कितनी भाषाओं को समर्थन करता।
अंतर्राष्ट्रीय मानकों के संदर्भ में, अंग्रेजी भाषा अभी भी एक प्रमुख भाषा है
और इंटरनेट, संचार, विज्ञान, तकनीक, व्यापार, वित्त, और न्यायिक क्षेत्रों में
व्यापक रूप से उपयोग होती है। इसलिए, यदि कंप्यूटर हिंदी में होता, तो
अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में हिंदी की मान्यता एक अद्यतन या परिवर्तन की
आवश्यकता होती।
इंग्लिश की मान्यता का बदलता होना विविध अंतरराष्ट्रीय संगठनों, संघों और
साझेदारियों के निर्णयों पर निर्भर करेगा, जो अंतर्राष्ट्रीय संचार और सहयोग
में संयमित हैं।कंप्यूटर की मान्यता विभिन्न कारकों पर निर्भर करेगी, जैसे
कि भाषाई संचार के लिए उपयुक्तता, तकनीकी माध्यमों की उपलब्धता,
लोगों के आवश्यकताओं का पूरा करना आदि। अगर कंप्यूटर हिंदी में होता,
तो इससे हिंदी भाषा के उपयोग और मान्यता में वृद्धि हो सकती थी।
हालांकि, विश्व भर में अंग्रेजी की मान्यता का कारण उसकी व्यापकता,
उपयोगिता, और विश्वस्तरीय संबद्धता है। अंग्रेजी भाषा को अन्य भाषाओं के
बीच संचार का माध्यम बनाने के लिए इंटरनेट और विश्वव्यापी संचार
नेटवर्क का उपयोग होता है। यह व्यापार, पेशेवर संवाद, विज्ञान, तकनीक,
शिक्षा, शोध, और कई अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है।
इसलिए, यदि कंप्यूटर हिंदी में होता, तो इसका सीधा प्रभाव अंतर्राष्ट्रीय
संचार पर होता, लेकिन इंग्लिश की मान्यता को पूरी तरह से हटा देना
मुश्किल होता। अंततः, कंप्यूटर की मान्यता भाषाओं के बीच संचार, आपसी
सहयोग,विज्ञान, शोध, और व्यापार में आवश्यकताओं के आधार पर निर्भर
करेगी। एक संयुक्त राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय संगठन द्वारा निर्धारित मानकों और
संचार प्रोटोकॉलों के साथ यदि हिंदी का विस्तार होता, तो इसका प्रभाव
कंप्यूटर विश्वव्यापी संचार के माध्यम से होता।
इसके अलावा, देश की आपूर्ति श्रृंखला, प्रौद्योगिकी विकास और
व्यावसायिक गतिविधियों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। अंग्रेजी की मान्यता
व्यापार, निवेश, और विदेशी संबंधों को सुगम और सुरक्षित बनाती है। हिंदी
के मान्यता में वृद्धि से ऐसे व्यापारिक और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों को अंग्रेजी के
साथ संचार करने में कठिनाई हो सकती है, जिससे विदेशी निवेशकों का
आकर्षण कम हो सकता है।
समय के साथ, हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएं विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और
संचार में अधिक मान्यता प्राप्त कर सकती हैं, और उनका प्रयोग कंप्यूटर
और डिजिटल माध्यमों में विस्तार हो सकता है।
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