कल्प एक संस्कृत शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ "कल्पना" होता है। कल्प
विचार, विचारों, भावनाओं, अवधारणाओं या धारणाओं का एक समूह होता
है जो मन द्वारा बनाया गया होता है और जो आपके मन में एक कल्पित या
आभासी स्थिति का आविष्कार करता है।
कल्प के माध्यम से हम भविष्य में होने वाली गतिविधियों, घटनाओं, स्थितियों,
और प्रतिस्थानों का निर्माण कर सकते हैं। यह हमारी मनोचित्त की एक
विशेषता है जिससे हम नए और आदर्श वास्तविकता का निर्माण करते हैं।
कल्पना एक महत्वपूर्ण मानसिक प्रक्रिया है जो हमारे जीवन में सहायता
करती है। इसके माध्यम से हम नई विचारधारा, समस्या का समाधान,
विज्ञान की खोज, कला और साहित्य का सृजन कर सकते हैं। कल्पना हमारे
जीवन को साथी और सरल बनाती है, और यह हमें नये और उच्चतर स्तर के
अनुभवों का आनंद लेने की अनुमति देती है।
निरुक्ति क्या है
निरुक्ति संस्कृत शब्द है, जिसका हिंदी में अर्थ "निरूपण" या "व्याख्या"
होता है। यह एक भाषा शास्त्रीय शब्द है जो भाषा के शाब्दिक अर्थ, उनका
पर्याय, लक्षण और उपयोग का विश्लेषण करता है। निरुक्ति भाषा के शब्दों
के व्याख्यान के माध्यम से उनका अध्ययन करती है और उनका समझने
का प्रयास करती है।
निरुक्ति महर्षि यास्क द्वारा विकसित की गई एक प्राचीन भाषा शास्त्रीय
प्रणाली है। इसका मुख्य उद्देश्य भाषा के शब्दों के व्याख्यान के माध्यम से
उनके अर्थ का निरूपण करना है। निरुक्ति के माध्यम से हम शब्दों के
वास्तविक अर्थ और उनका उपयोग समझ सकते हैं, जिससे हम भाषा के
विशेषताओं को समझने और उनका सही प्रयोग करने में सक्षम होते हैं।
निरुक्ति भाषा अध्ययन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करती है,
जैसे कि व्याकरण, साहित्य, धर्मशास्त्र और विचारशास्त्र।
छंद क्या है
छंद शब्द संस्कृत शब्द है, जिसका हिंदी में अर्थ "शब्द-विन्यास" होता है।
छंद एक कविता, गीत या किसी अन्य साहित्यिक रचना में शब्दों की समय-
सारणी या विन्यास को व्यवस्थित करने का तरीका होता है। छंद शब्द भी
उस काव्यशास्त्रीय विधि को संकेत करता है, जिससे कवि और रचनाकार
अपनी रचनाओं को आकर्षक, उच्च गुणवत्ता वाली और संरचित बनाने के
लिए प्रयास करते हैं।
छंद कविता में उपयोग होने वाले विभिन्न माप और रेखाएं हो सकती हैं, जैसे
कि स्वर की माप, अर्थात् अक्षरों की गिनती, अनुक्रम, मात्रा, यमक, जाति,
रस, और गुण आदि। छंद का प्रयोग कविता में शब्दों की सुन्दरता, उच्चता,
विनोद, रचनात्मकता, और भावों के प्रभाव को बढ़ावा देने के लिए किया
जाता है। छंद के अनुसार रचित कविताएं या गीतों को अच्छी आवाज, गति,
ताल, और छंद के साथ पढ़ा या गाया जाता है, जिससे उनका प्रभाव और
सुंदरता बढ़ जाती है।
जातक क्या है ।
जातक एक प्राचीन भारतीय लिपि साहित्य है जो बौद्ध धर्म के महायान
संप्रदाय के सद्भावना और जन्मों के सिद्धान्त पर आधारित है। जातक संग्रह
में संग्रहीत किए गए कथाएं जीवन और पिछले जन्मों में गौतम बुद्ध की
जीवन की घटनाओं को वर्णित करती हैं।
जातक संग्रह में 550 से अधिक कथाएं होती हैं, जिनमें बुद्ध के पूर्वी जन्मों की
कथाएं होती हैं। ये कथाएं मानवता, नीति, धर्म, करुणा और सहानुभूति जैसे
मूल्यों को सुरक्षित करने और सिखाने का उद्देश्य रखती हैं। जातक संग्रह में
विभिन्न प्रकार की जीवन्त और पौराणिक कथाएं शामिल होती हैं, जिनमें
बाघ, हंस, जंगली सुअर, मेंढ़क, मंगलमायी माछली आदि के रूप में जीवन्त
प्राणियों के किस्से शामिल होते हैं।
जातक कथाएं बौद्ध धर्म के अनुयायों के बीच अधिक लोकप्रिय हो गई हैं और
इन्हें धार्मिक शिक्षा, नैतिक मूल्यों का संचार, और जीवन कौशल के
उदाहरण के रूप में, एक महत्वपूर्ण जातक कथा है "श्रमिक जातक"। इस
कथा में एक जंगली सिंह अपनी परिवार के लिए शिकार करने के लिए एक
गांव के पास आता है। उसे एक श्रमिक मिलता है जो उसे पकड़कर बाजार
में बेचने के लिए ले जाता है। इस कथा में सिंह और श्रमिक के बीच एक दृढ़
संबंध विकसित होता है और उसे पशुत्व से मानवता की ओर बढ़ना पड़ता
है।
एक और मशहूर जातक कथा है "विद्याधर जातक"। इस कथा में एक बुद्ध
भक्त राजा और एक विद्याधर (एक प्रकार का आकाशीय संदर्भ) के बीच
एक समझौता होता है। राजा, जो अपनी सत्ता का उपयोग गरीबों के हित में
करने के लिए करता है, विद्याधर को बचाता है और उसे अपने ग्रहणी से
बचाता है। इस कथा के माध्यम से, धर्म और समर्पण के महत्व को संदर्भित
किया जाता है।
ये उदाहरण जातक कथाओं के माध्यम से नैतिक शिक्षा और धार्मिक संदेशों
को सुलभ तरीके से समझाने में मदद करते हैं।जातक कथाएं मनोवैज्ञानिक
दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। इन कथाओं के माध्यम से व्यक्ति के मन की
विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास किया जाता है। उदाहरण के लिए,
"अजीत केसरी जातक" कथा में एक युवक का वर्णन है जो दिनचर्या से
बहुत लापरवाह हो जाता है। जब उसे अजीत केसरी के रूप में एक सिंह का
रूप लेने का अवसर मिलता है, तो उसका मनोवैज्ञानिक परिवर्तन हो जाता
है। यह कथा मनोवैज्ञानिक स्तर पर मन की अस्थिरता, बदलाव, और
स्वाधीनता के पक्षों को दर्शाती है।
जातक कथाओं के माध्यम से मनोवैज्ञानिक मुद्दों को समझाने के लिए
इस्तेमाल की जाती है। ये कथाएं हमें बताती हैं कि मन कैसे कार्य करता है,
कैसे भ्रमण करता है, और कैसे भावनाएं, विचार और क्रियाएं उत्पन्न होती
हैं। इसके साथ ही, ये कथाएं भावनात्मक स्थितियों, दुख-दर्द, समाधान, और
सुख के परिपेक्ष्य में मन की रचना को भी दर्शाती हैं।
शुंग काल क्या है ?
शुंग काल (Shunga era) भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण अवधि है, जो
प्राचीन भारत के इतिहास के मौखिक और लिखित स्रोतों में संदर्भित है। शुंग
वंश की स्थापना मौर्य साम्राज्य के अधीनस्थता के उत्तरार्ध में हुई थी, जब
मौर्य साम्राज्य के अंतर्गत पटन (पटलिपुत्र) के नगर में शुंग वंश के सदस्यों ने
अपना आधिकारिक स्थान बनाया।
शुंग वंश के संस्थापक विजय महान का उल्लेख अर्थशास्त्री कौटिल्य
(चाणक्य) की प्रसिद्ध पुस्तक "अर्थशास्त्र" में भी है। शुंग काल लगभग 2वीं
शताब्दी ईसा पूर्व से लगभग 1वीं शताब्दी ईसा पश्चात्ताप तक चला। यह शांग
और कन्याकुब्ज क्षेत्रों पर शासन करने वाले राज्यकारों द्वारा निर्मित था।
शुंग काल की संदर्भिक जानकारी मुख्य रूप से धर्मशास्त्रीय और साहित्यिक
स्रोतों में मिलती है। इस काल में भारतीय संस्कृति में विभिन्न धार्मिक
संप्रदायों का विकास हुआ और बौद्ध धर्म के बाद, भारतीय दर्शन एवं
दार्शनिक परंपरा का विकास जारी रहा है। इस अवधि में कई महत्वपूर्ण
दर्शनिक संप्रदाय उभरे जिन्होंने विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत
किए। यहां कुछ महत्वपूर्ण भारतीय दर्शन संप्रदायों का उल्लेख किया गया
है:
न्यायशास्त्र (Nyaya) - गौतम मुनि के द्वारा स्थापित न्यायशास्त्र विद्या के
नियमों, तर्क और प्रमाणों के अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करता है।
वैशेषिक दर्शन (Vaisheshika) - कण, गुण, कार्य, सामान्य और विशेष के
परिप्रेक्ष्य में ज्ञान की प्राप्ति के बारे में चिंतन करता है। कनाद ऋषि इसे
स्थापित करने के लिए जाने जाते हैं।
सांख्य दर्शन (Samkhya) - ऋषि कपिल द्वारा स्थापित किया गया, सांख्य
दर्शन मानव जीवन, प्रकृति, मोक्ष, और ज्ञान के विषय में विचार करता है।
यह दर्शन प्रकृति और पुरुष के बीच अन्तर को बताता है और मुक्ति के लिए
साधनाओं की अवधारणा प्रस्तुत करता है।
योग
योग भारतीय दर्शन की एक महत्वपूर्ण शाखा है जो मन, शरीर, और आत्मा
के एकीकरण को साधना करने के माध्यम से मुक्ति और आनंद की प्राप्ति
को प्रमोट करती है। योग का शब्दिक अर्थ "जोड़ना" या "एकीकरण" होता
है। यह दर्शन भारतीय विचारधारा में अग्रणी स्थान रखता है और विभिन्न
प्रकार के योग (जैसे कि हठ-योग, राज-योग, भक्ति-योग, ज्ञान-योग, कर्म-
योग आदि) का अध्ययन करता है।
योग द्वारा, मन को शांति, स्थिरता और ध्यान में स्थानित करने का प्रयास
किया जाता है। योगासन, प्राणायाम, ध्यान, और धारणा जैसे अभ्यासों के
माध्यम से व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित करने, शरीर को स्वस्थ रखने और
आत्मा के अनुभव की ओर प्रगट होने का प्रयास करता है। योग विभिन्न
शिक्षाओं, तकनीकों, और मार्गों के माध्यम से आत्म-संयम, समय, तत्त्वज्ञान,
और आनंद की प्राप्ति प्रोत्साहित करता है।
समकालिक क्या है ?
समकालिक (Contemporary) शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ
होता है "समय के साथ साथ होने वाला" या "वर्तमान काल में होने वाला"।
समकालिक शब्द विभिन्न क्षेत्रों और विषयों में उपयोग होता है, जैसे कि
साहित्य, कला, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, और संगणक तकनीक आदि।
समकालिक शब्द साहित्य और कला के संदर्भ में उपयोग होता है ताकि
किसी विशेष साहित्यिक या कलात्मक कार्य को उसके आवासीय समय के
साथ जोड़ा जा सके। यह शब्द उस काल की परिधि या समयावधि का भी
दर्शाता है जिसमें किसी कलाकृति या साहित्यिक कार्य का निर्माण हुआ है।
उदाहरण के लिए, "समकालिक कविता" शब्द से एक कविता का मतलब
होगा जो वर्तमान काल में लिखी गई है और उसी काल की सामाजिक,
राजनीतिक, और सांस्कृतिक परिस्थितियों को दर्शाती है।
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